वाच्य का अर्थ होता है वाक्य के कथन का प्रकार। एक ही वाक्य को कई प्रकार से बोला या लिखा जा सकता है।जैसे.. 1..रामः पुस्तकं पठति। राम पुस्तक पढ़ता है। रामेण पुस्तकं पठ्यते.. राम के द्वारा पुस्तक पढ़ा जाता है। दोनों वाक्यों का भाव समान है, परन्तु अलग -अलग ढंग से कहा गया है। वाक्य संख्या 1 कर्तृ वाच्य में है , तथा वाक्य संख्या 2 कर्म वाच्य में है।
वाच्य परिवर्तन क्या है..
व्याकरण में….एक प्रकार के वाच्य को दूसरे प्रकार में परिवर्तित करना , वाच्य-परिवर्तन कहा जाता है। संस्कृत में वाच्य परिवर्तन के कुछ नियम हैं जो इस प्रकार हैं…
कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य परिवर्तन के नियम
- 👉नोट…कर्तृ वाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है, अतः…
- कर्ता प्रथमा विभक्ति में होता है,
- कर्म द्वितीया विभक्ति में ,
- तथा क्रिया पद कर्ता के अनुसार होता है।
(कर्म वाच्य में परिवर्तन सदा सकर्मक धातुओं में होता है। सकर्मक अर्थात जिन वाक्य में कर्म होता है।)
नियम
- कर्ता प्रथमा विभक्ति से तृतीया विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है।
- कर्म प्रथमा विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है।
- क्रिया पद कर्म के अनुसार होता है।अर्थात कर्म पद में जो पुरूष और वचन होता है क्रिया में भी वही पुरुष और वचन होता है।
- यदि कर्म प्रथम पुरुष एक वचन में है तो क्रिया भी प्रथम पुरुष एक वचन में होगी।
- कर्म मध्यम पुरुष द्विवचन में है ,तो क्रिया भी मध्यम पुरुष द्विवचन में होगी ।
- **कर्म वाच्य-परिर्वतन में क्रिया सदा आत्मनेपद में होती है। इसमें मूल धातु के साथ य लगाया जाता है। पठ् +य +ते = पठ्यते
- कर्म वाच्य में सकर्मक धातुओं (क्रियाओं) का प्रयोग होता है।
उपरोक्त नियम को निम्नलिखित उदाहरण से समझते हैं….
- जैसे .. रामः विद्यालयं गच्छति। यह कर्तृ वाच्य का वाक्य है।
- इस वाक्य में राम: कर्ता है , जो प्रथमा विभक्ति एक वचन में है।
- विद्यालयं कर्म है, जो द्वितीया विभक्ति एक वचन में है।
- गच्छति यह क्रिया पद कर्ता के अनुसार प्रयुक्त हुआ है। क्रिया प्रथम पुरुष एक वचन में है, इसलिये गच्छति भी प्रथम पुरुष एक वचन में प्रयुक्त हुआ है।
अब….कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य-परिवर्तन मे….
- कर्ता..“रामः “ तृतीया विभक्ति एक वचन में परिवर्तित हो कर रामेण हो जायेगा।
- विद्यालयं प्रथमा विभक्ति में परिवर्तित हो कर विद्यालयः हो जायेगा।
- क्रिया पद गच्छति अब कर्म के अनुसार रहेगा जो परिवर्तित हो कर “गम्यते “ हो जायेगी। इस प्रकार…
- रामः =रामेण
- विद्यालयं =विद्यालयः
- गच्छति = गम्यते
कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य के अन्य उदाहरण…
कर्तृ वाच्य | कर्म वाच्य |
बालकः ग्रन्थं पश्यति। | बालकेन् ग्रन्थं दृश्यते । |
रमा ओदनं पचति । | रमया ओदनं पच्यते। |
छात्रा: प्रार्थनां कुर्वन्ति। | छात्रैः प्रार्थना क्रियते । |
बालकः ग्रन्थं पठति । | बालकेन् ग्रन्थःपठ्यते। |
युवां पाठं पठथः | युवाभ्यां पाठः पठ्यते। |
यूयं आपणम् गच्छथ् | युष्माभिः आपणम् गम्यते। |
अहं गृहं गच्छामि। | मया गृहं गम्यते। |
वयं कार्यं कुर्मः। | अस्माभिः कार्यं क्रियते । |
मोहनः जनकं प्रणमति। | मोहनेन् जनकः प्रणम्यते। |
जनाः भोजनं आनयन्ति। | जनैः भोजनं आनीयते । |
त्वम् कवितां शृणोषि । | त्वया कविता श्रूयते |
**अहं त्वाम् पश्यामि | मया त्वम् दृश्यसे |
**बालकः त्वाम् पश्यति | बालकेन त्वम् दृश्यसे |
**अहं त्वाम् ताडयामि | मया त्वम् ताडयसे |
**त्वम् माम् पश्यसि | त्वया अहं दृश्ये |
**शिक्षकः युवाम् पाठयति | शिक्षकैः युवाम् पाठ्यथे |
भक्ताः स्तोत्राणि गायन्ति | भक्तैः स्तोत्राणि गीयन्ते |
पिता पुत्रं रक्षति | पित्रा पुत्रः रक्ष्यते |
अहं गुरुं पूजयामि | मया गुरुः पूज्यते |
👉 नोट..उपरोक्त उदाहरणों में जिनके पूर्व (*) चिह्न लगा है, उन वाक्यों में में क्रिया मध्यम पुरुष और उत्तम पुरुष की प्रयुक्त हुई है जो कर्म..त्वम् , अहम् तथा युवाम् के अनुसार है। त्वम् मध्यम पुरुष एक वचन का है, अतः क्रिया ताडयसे, दृश्यसे आदि मध्यम पुरुष एक वचन की है। अहम् उत्तम पुरुष एक वचन का है , अतः दृश्ये भी उत्तम पुरुष एक वचन में है।
२..कर्तृ वाच्य से भाव वाच्य परिवर्तन
वाक्य में जब भाव की (क्रियात्व )की प्रधानता होती है , तब भाव वाच्य होता है।
कर्तृ वाच्य से भाव वाच्य में परिर्वतन के निम्नलिखित नियम हैं…
- कर्ता प्रथमा विभक्ति से तृतीया विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है।
- भाव वाच्य में अकर्मक धातुओं का ही प्रयोग होता है। अर्थात कर्म नहीं होता है।
- क्रिया सदा आत्मने पद में होती है।
- क्रिया पद सदा प्रथम पुरूष एकवचन में ही प्रयोग किया जाता है। अर्थात कर्तृ वाच्य में क्रिया पद जो कर्ता के अनुसार परिवर्तित होता है, वह भाव वाच्य में सदा प्रथम पुरूष एक वचन में ही रहेगा। चाहे कर्ता बहुवचन में हो तो भी।
उदाहरण….
कर्तृ वाच्य | भाव वाच्य |
छात्रः उपविशति। | छात्रेण् उपविश्यते। |
छात्रौ उपविशतः। | छात्राभ्याम् उपविश्यते। |
छात्राः उपविशन्ति। | छात्रैः उपविश्यते। |
अहं उपविशाम। | मया उपविश्यते। |
बालकः क्रीडति | बालकेन् क्रीड्यते |
अहं हसामि | मया हस्यते |
सः तिष्ठति | तेन स्थीयते |
रमा चिन्तयति | रमया चिन्त्यते |
उपरोक्त वाक्यों में कर्ता एक वचन, द्विवचन , बहुवचन में है, परंतु क्रिया सदा प्रथम पुरूष एक वचन में है।
** जब कोई प्रत्यय भाव वाच्य में होता है, तब प्रत्यय अंत वाला शब्द सदा नपुंसक लिंग प्रथमा एक वचन में होता है। कर्ता में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
- बालकेन शयनीयं।
- मया शयनीयं।
- बालाकाभ्यां शयनीयं।
- छात्रैः शयनीयं।
(शयनीयं में अनीयर प्रत्यय लगा है )
३.…कर्म वाच्य से कर्तृ वाच्य परिवर्तन….
- ** कर्म वाच्य से कर्तृ वाच्य में परिवर्तित करने में, कर्म वाच्य में कर्ता तृतीया विभक्तिसे प्रथमा विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है।.
- क्रिया परस्मैपद में परिवर्तित हो जाती है।
- कर्म द्वितीया विभक्ति में परिवर्तित हो जाता है।
- क्रिया परस्मैपद में परिवर्तित हो जाती है।
- क्रिया पद कर्ता के अनुसार होता है।अर्थात कर्ता जिस पुरूष और वचन में होता है,क्रिया पद भी उसी पुरुष और वचन में होती है।
उदाहरण..
कर्म वाच्य | कर्तृ वाच्य |
मया पत्रः लिख्यते। | अहम पत्रम् लिखामि। |
तेन गीतः श्रूयते। | सः गीतम् शृणोति। |
तया पठ्यते। | सा पठति। |
त्वया फलं खाद्यते। | त्वम् फलं खादसि। |
भक्तेन गीता पठ्यते | भक्तः गीतां पठति। |
चित्रकारेन् चित्रं रच्यते। | चित्रकारः चित्रं रचयति। |
मेघैः जलं वृष्यते | मेघाः जलं वर्षन्ति |
कर्म वाच्य तथा भाव वाच्य बनाने के लिए सार्व धातुक लकारों ( लट्, लोट्, लङ्ग, तथा विधिलिङ्ग् ) में “य” जोड़ कर आत्मनेपद रूप में चलते हैं। अन्य लकारों में “य” नहीं जुड़ता।
अर्थात कर्म वाच्य और भाव वाच्य में बदलने हेतु क्रिया पद निर्माण करने के लिए मूल धातु के साथ “य” जोड़ कर “ते” लगा दिया जाता है।
जैसे पठ् + य +ते = पठ्यते
इसी प्रकार कुछ और रूप बनते हैं….
कथ् | कथयति | कथ्यते |
क्री | क्रीणाति | क्रीण्यते |
लिख् | लिखति | लिख्यते |
प्र +नम् | प्रणमति | प्रणम्यते |
पच् | पचति | पच्यते |
दा | ददाति | दीयते |
नी | नयति | नीयते |
आ +नी | आनयति | अनीयते |
गम् | गच्छति | गम्यते |
पा | पिबति | पीयते |
वि +धा | विदधाति | विधीयते |
दृश् | पश्यति | दृश्यते |
धृ | धारयति | धार्यते |
श्रु | शृणोति | श्रूयते |
खाद् | खादति | खाद्यते |
प्र +शंस | प्रशंसति | प्रशंस्यते |
आ +चर् | आचरति | आचर्यते |
पूज् | पूजयति | पूज्यते |
धाव् | धावति | धाव्यते |
हस् | हसति | हस्यते |
भू | भवति | भूयते |
स्था | तिष्ठति | स्थीयते |
क्रीड् | क्रीडति | क्रीड्यते |
सिध् | सिध्यति | सिध्यते |
पत् | पतति | पत्यते |
वृध् | वर्धते | वर्ध्यते |
गर्ज् | गर्जति | गर्ज्यते |
स्मू | स्मरति | स्मर्यते |
सिच् | सिञ्चति | सिञ्च्यते |
भुज् | भुनक्ति | भुज्यते |
पूर् | पूरयति | पूर्यते |
सेव् | सेवते | सेव्यते |
उप् +दिश् | उपदिशति | उपदिश्यते |
रच् | रचयति | रच्यते |
रुद् | रोदति | रुद्यते |
वृष् | वर्षति | वृष्यते |
अभि +लष् | अभिलषति | अभिलष्यते |
हन् | हन्ति | हन्यते |
वन्द् | वन्दते | वन्द्यते |
लभ् | लभते | लभ्यते |
नश् + णिच् | नाशयति | नाश्यते |
अभि +अस् | अभ्यस्यति | अभ्यस्यते |
वि +श्वस् | विश्वसिति | विश्वस्यते |
परि +ईक्ष् | परीक्षते | परीक्ष्यते |
गै | गायति | गीयते |
हृ | हरति | ह्रियते |
कम्प् | कम्पते | कम्प्यते |
क्षाल् | क्षालयति | क्षाल्यते |
शुभ् | शोभते | शुभ्यते |
रक्ष् | रक्षति | रक्ष्यते |
स्वप् | स्वपिति | सुप्यते |
अस् | अस्ति | भूयते |
शीङ्ग् | शेते | शीयते |
उत् +पत् | उत्पतति | उत्पत्यते |
उप् +विश् | उपविशति | उपविष्यते |
वि +कस् | विकसति | विकस्यते |
नृत् | नृत्यति | नृत्यते |
ग्रह् | गृह्णाति | गृह्यते |
क्री | क्रीणाति | क्रीयते |
अनु +भू | अनुभवति | अनुभूयते |
भिद् | भेदयति | भिद्यते |
युध् | युध्यते | युध्यते |
विद् | विद्यते | विद्यते |
धाव् | धावति | धाव्यते |
क्रुध् | क्रुध्यति | क्रुध्यते |
कृ | करोति | कृयते |
वृत् | वर्तते | वृत्यते |
लिख् | लिखति | लिख्यते |
आप् | आप्नोति | आप्यते |
जन् | जायते | जन्यते |
ज्ञा | जानाति | ज्ञायते |
प्रच्छ् | पृच्छति | पृच्छ्यते |
बन्ध् | बध्नाति | बध्यते |
भ्रम् | भ्रमति | भ्रम्यते |
उत् +डयते | उड्डयते | उड्डीयते |
ऊपर लिखे गए जो नियम हैं, उनके अनुसार संस्कृत में वाच्य-परिवर्तित किए जाते हैं।
प्रश्न-उत्तर..
प्रश्न.. वाच्य कितने प्रकार के होते हैं..?
उत्तर.. तीन…1 कर्तृ वाच्य, 2.कर्म वाच्य, 3..भाव वाच्य।
प्रश्न..रामः आखादत् । राम ने खाया। यह कौन सा वाच्य है?
उत्तर.. कर्तृ वाच्य
प्रश्न..कर्तृ वाच्य से कर्म वाच्य परिवर्तन में, कर्ता किस विभक्ति में परिवर्तित हिता है?
उत्तर..तृतीया विभक्ति में।
प्रश्न..कर्म वाच्य में क्रिया आत्मनेपद में होती है,या परस्मैपद में?
उत्तर…आत्मनेपद में।
प्रश्न.. अहम् पत्रम् लिखामि..इसे कर्म वाच्य में परिवर्तित करिये..
उत्तर.. मया पत्रं लिख्यते।
प्रश्न..भाव वाच्य में क्रिया सकर्मक होती है, या अकर्मक?
उत्तर…अकर्मक।
प्रश्न..त्वया पिता कथम्………..?
क.. स्मरसि , ख.. स्मर्यते, ग स्मर्यसे
उत्तर…स्मर्यते
प्रश्न…शिष्यैः……….? .
क.. नम्यते ख.. नम्यन्ते, ग.. नमन्ति
उत्तर…नम्यते
प्रश्न ………. पाषाण खण्डेषु रत्न संज्ञा विधीयते।
क.. मूढः, ख.. मूढैः, ग. मूढाः
उत्तर… मूढैः
शतृ प्रत्यय Introduction With Example
Thak Pratyay Parichaya Uaharan