तुमुन् प्रत्यय किसे कहते हैं तथा इसका प्रयोग कहां और कैसे करते हैं…यह सब हम इस लेख के द्वारा जानेंगे…
परिचय… तुमुन् एक कृत प्रत्यय है। इसका प्रयोग ” के लिए” इस अर्थ में होता है।अर्थात क्रिया को करने के लिए ,इस अर्थ में धातु के साथ तुमुन का प्रयोग होता है।
जैसे… स: पठितुम् विद्यालयम् गच्छति।..वह पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है।
ध्यान देने योग्य बातें..
- यह धातु में जुड़ता है। इस प्रत्यय से बने शब्द अव्यय होते हैं, अतः इनके रूप नहीं चलते हैं।
- तुमुन प्रत्यय के प्रयोग के लिए वाक्य में दो क्रिया पद का होना आवश्यक है,तथा दोनो क्रिया पदों का कर्ता एक ही होता है।
- एक क्रिया दूसरी क्रिया का प्रयोजन(purpose) या निमित्त होती है और निमित्तार्थक क्रिया पद में तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है।
जैसे…”रमा चलचित्रम् द्रष्टुं रङ्गायनं गच्छति।” रमा चलचित्र देखने के लिये रंगायन जाती है।
इस वाक्य में देखना और जाना, दो क्रिया पद हैं। जिसमे देखना प्रयोजन है, जिसके लिये वह रङ्गायन जाती है। अर्थात वह एक कार्य को करने के लिये दूसरा कार्य करती है।
👉निम्मलिखित स्थानों पर भी तुमुन् का प्रयोग होता है…
- समर्थ होने के अर्थ में..
जैसे.. इदं गृहम् क्रेतुं समर्थो भवान्। आप् इस घर को खरीदने में समर्थ हैं।
- समर्थ के अर्थ वाले अलम् के योग में…
जैसे … तव बलं तम् जेतुं अलम्। तुम्हारा बल उसे जीतने में समर्थ है।
- काल समय वेला आदि समय वाचक शब्द के योग में… स्नातुं बेला अस्ति।
क्रीडितुम् समयः अस्ति।
- शक् (सकना) धातु के योग में इष् ( चाहना ) धातु के साथ् वाक्य मे जो पहली क्रिया होती है,उसमे तुमुन् का प्रयोग होता है।
- अहम् कार्यं कर्तुं शक्नोमि। मैं कार्य कर सकता हूं।
- अहम् पठितुम् शक्नोमि /इच्छामि।
- रामः तर्तुं शक्नोति।
- ताः धावितुं न शक्नुवन्ति।
- वयं जेतुं न शक्नुमः।
तुमुन् के प्रयोग के नियम…
- तुमुन् का तुम् शेष रहता है, उ न् का लोप हो जाता है,अतः धातु मे तुम् जुड़ता है।
- सेट् धातुओं में प्रत्यय से पूर्व इ का प्रयोग होता है।
- अनिट् धातुओं में प्रत्यय के पूर्व इ का प्रयोग नहीं होता है।
- यदि अंतिम वर्ण म् या न् हो तो, म् या न् अनुस्वार या आधा न् में बदल जाता है तथा इ का प्रयोग नहीं होता है।
- यदि अंतिम वर्ण म् या न् समान वर्ग से हो ( म.. प फ ब भ म../ न.. त थ द ध न) तो म् /न् को अनुस्वार नहीं होता है , बल्कि इ का प्रयोग होता है।
👉नोट..वे धातुएं जो लट् लकार और लृट् लकार में बदलती नहीं हैं,सेट् धातुएं होती हैं।जैसे पठ् धातु लट् लकार में पठति पठतः पठन्ति तथा लृट् लकार में पठिष्यति,पठिष्यतः, पठिष्यन्ति बनता है। अर्थात ‘पठ् ‘यह मूल रूप नहीं बदला।
👉 नोट…वे धातुएं जिनका रूप लट् और लृट् में बदल जाता है, वे अनिट् धातुएं होती हैं। जैसे.पिब् /पा धातु का लट् लकार में पिबति पिबतः पिबन्ति रूप बनता है, तथा लृट् लकार में पास्यति पास्यतः पास्यन्ति इस प्रकार रूप बनता है, जो लट् और लृट् में अलग है।
उदाहरण…अनिट् धातुओं के साथ तुमुन् प्रत्यय
धातु +प्रत्यय | प्रत्ययान्त रूप | अर्थ |
अद् | अत्तुम् | खाने के लिये |
प्र +आप् +तुमुन् | प्राप्तुम् | पाने के लिये |
कृ | कर्त्तुम | करने के लिये |
क्री | क्रेतुम् | खरीदने के लिये |
क्रुध् | क्रोद्धम् | क्रोध करने के लिये |
गम् | गन्तुम् | जाने के लिये |
गै | गातुम् | गाने के लिये |
घ्रा | घ्रातुम् | सूंघने के लिये |
चि | चेतुम् | चुनने के लिये |
छिद् | छेत्तुम् | काटने के लिये |
जि | जेतुम् | जीतने के लिये |
ज्ञा | ज्ञातुम् | जानने के लिये |
तुद् | तोत्तुम् | दुख देने के लिये |
त्यज् | त्यक्तुम् | त्यागने के लिये |
त्रै | त्रातुम् | रक्षा करने के लिये |
दा | दातुम् | देने के लिये |
दुह् | दोग्धुम् | दुहने के लिये |
दृश् | द्रष्टुम् | देखने के लिये |
धा | धातुम् | धारण करने के लिये |
धृ | धर्तुम् | धारण करने के लिये |
ध्यै | ध्यातुम् | ध्यान करने के लिये |
नम् | नन्तुम् | नमस्कार करने के लिये |
नी | नेतुम् | ले जाने के लिये |
पच् | पक्तुम् | पकाने के लिये |
पा | पातुम् | पीने के लिये |
प्रच्छ् | प्रष्टुं | पूछने के लिये |
ब्रू | वक्तुम् | कहने के लिये |
भिद् | भेत्तुम् | तोडने के लिये |
भी | भेतुम् | डरने के लिये |
भुज् | भोक्तुम् | खाने के लिये |
मुच् | मोक्तुम् | छोड़ने के लिए |
या | यातुम् | जाने के लिये |
रुध् | रोद्धुम् | रोकने के लिये |
लभ् | लब्धुम् | पाने के लिये |
वच् +तुमुन् | वक्तुम् |
वस् +तुमुन् | वस्तुम् |
वह् +तुमुन् | वोढुम् |
शक् +तुमुन् | शक्तुम् |
श्रु +तुमुन् | श्रोतुम् |
सह् +तुमुन् | सोढुम् |
स्तु +तुमुन् | स्तोतुम् |
स्था +तुमुन् | स्थातुम् |
स्ना +तुमुन् | स्नातुम् |
स्पृश् +तुमुन् | स्प्रष्टुम् |
स्मृ +तुमुन् | स्मर्तुम् |
हन् +तुमुन् | हन्तुम् |
हा +तुमुन् | हातुम् |
हृ +तुमुन् | हर्तुम् |
लिह् +तुमुन् | लेढुं |
अनु + इष् +तुमुन् | अन्वेष्टुं |
वप् +तुमुन् | वप्तुम् |
सृज् +तुमुन् | स्रष्टुं |
उदाहरण..
सेट् धातु…के साथ तुमुन् प्रत्यय
अर्च् +तुमुन् | अर्चितुम् |
अर्ज् +तुमुन् | अर्जितुम् |
अस् +तुमुन् | भवितुम् |
कथ् +तुमुन् | कथयितुं |
कम्प् +तुमुन् | कम्पितुम् |
कुप् +तुमुन् | कोपितुम् |
क्रन्द् +तुमुन् | क्रन्दितुम् |
क्रीड् +तुमुन् | क्रीडितुं |
खाद् +तुमुन् | खादितुम् |
खेल् +तुमुन् | खेलितुम् |
गण् +तुमुन् | गणयितुम् |
ग्रह् +तुमुन् | ग्रहीतुम् |
चल् +तुमुन् | चलितुम् |
चिन्त् +तुमुन् | चिन्तयितुम् |
चुर् +तुमुन् | चोरयितुम् |
जन् +तुमुन् | जनितुम् |
जप् +तुमुन् | जपितुम् |
जागृ +तुमुन् | जागरितुम् |
जीव् +तुमुन् | जीवितुम् |
ज्वल् +तुमुन् | ज्वलितुम् |
ताड् +तुमुन् | ताडयितुम् |
तुल् +तुमुन् | तोलयितुम् |
दण्ड् +तुमुन् | दण्डयितुम् |
धाव् +तुमुन् | धावितुम् |
निन्द् +तुमुन् | निन्दितुम् |
पठ् +तुमुन् | पठितुम् |
नृत् +तुमुन् | नर्तितुम् |
पत् +तुमुन् | पतितुम् |
पाल् +तुमुन् | पालयितुम् |
पीड् +तुमुन् | पीडयितुम् |
पूज् +तुमुन् | पूजयितुम् |
बाध् +तुमुन् | बाधितुम् |
भक्ष् +तुमुन् | भक्षयितुम् |
भाष् +तुमुन् | भाषितुम् |
भिक्ष् +तुमुन् | भिक्षितुम् |
भू +तुमुन् | भवितुम् |
भ्रम् +तुमुन् | भ्रमितुम् |
मन्त्र् +तुमुन् | मन्त्रयितुम् |
मिल् +तुमुन् | मेलितुम् |
मुद् +तुमुन् | मोदितुम् |
याच् +तुमुन् | याचितुम् |
रक्ष् +तुमुन् | रक्षितुम् |
रच् +तुमुन् | रचयितुम् |
रुच् +तुमुन् | रोचितुम् |
रुद् +तुमुन् | रोदितुम् |
लिख् +तुमुन् | लेखितुम् |
वद् +तुमुन् | उदितुम् |
शी +तुमुन् | शयितुम् |
तुमुन्प्रत्ययान्त शब्दों का वाक्य में प्रयोग..
- रमा पठितुम् विद्यालयं गच्छति।
- रमा पढ़ने के लिए विद्यालय जाती है।
- मुनिः पूजयितुं देवालयं गच्छति।
- मुनि पूजा करने के लिए देवालय जाते हैं।
- भक्ताः भगवत् कथाम् श्रोतुम् आगताः।
- भक्त भक्त भगवत कथा सुनने के लिए आए हैं।
- सः स्नातुं सरोवरं प्रति गच्छति।
- वह स्नान करने के लिए सरोवर की ओर जाता है।
- राजा धनम् दातुं समर्थः अस्ति।
- राजा धन देने के लिए समर्थ है।
- गोपालः खदितुम् इच्छति।
- गोपाल खाना चाहता है।
- अर्जुनः योद्धुं उद्यतः अस्ति।
- अर्जुन युद्ध करने के लिए तैयार हैं।
- त्वम् किम् कर्तुं एहि आगच्छसि?
- तुम क्या करने के लिए यहां आए हो?
- मालाकारः पुष्पाणि चेतुं ऊद्यानम् आगच्छति।
- माली पुष्प चुनने के साथ उद्यान को जाता है।
- पंकजः अध्यापकं दर्शयितुं प्रश्नानि लिखति।
- अध्यापक को दिखाने के लिए पंकज प्रश्न लिखता है।
- माता शाकं कर्तितुं छुरिकाम् आनयति।
- माता सब्जी काटने के लिए छुरी लाती है।
- बाला दीपं प्रज्वालयितुं दीपशलाकां आनयति।
- बाला दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए दियासलाई लाती है।
- छात्राः क्रीडितुम् क्रीडाक्षेत्रे धावन्ति।
- छात्र खेलने के लिए क्रीड़ाक्षेत्र में दौड़ते हैं।
- साधुः ईश्वरं स्मर्तुम् मालां जपति।
- साधु ईश्वर को याद करने के लिए माला जपता है।
- मूषकं ग्रहीतुम् मार्जारः धावति।
- चूहे को पकड़ने के लिए बिल्ली दौड़ती है।
- सा भोजनं पक्तुं पाकशालां उपविशति।
- वह भोजन पकाने के लिए पाकशाला में बैठता है।
- सैनिक: देशं रक्षितुम् संकल्पते।
- सैनिक देश की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
- सः धनम् प्राप्तुं परिश्रमं करोति।
- वह धन प्राप्त करने हेतु परिश्रम करता है।
- महेशः प्रसन्नम् भवितुम् संगीतं शृणोति।
- महेश प्रसन्न होने के लिए संगीत सुनता है।
- खगाः विहर्तुम् आकाशे उड्डयन्ति।
- पक्षी विहार करने के लिये आकाश में उड़ते हैं।
- अहम् पठितुम् पुस्तकालयं गच्छामि।
- मैं पढ़ने के लिए विद्यालय जाता हूं।
- वानरः फलम् त्रोटयितुं वृक्षं आरोहति।
- वानर फल तोड़ने के लिये वृक्ष पर चढ़ता है।
- भक्ताः शिवम् पूजयितुं मन्दिरं गच्छन्ति।
- भक्त शिव की पूजा करने के लिए मंदिर जाते हैं।
प्रश्न उत्तर
- ..तुमुन प्रत्यय किस अर्थ में प्रयुक्त होता है?
- खाद् +तुमुन् =?
- भू +तुमुन् =?
- राघवः विद्यालयं गम् +तुमुन् सज्जः भवति?
- तुमुन् प्रत्ययं प्रयुक्त्वा वाक्य संयोजनं कुरुत…बालकः पठति। सः विद्यालयं गच्छति।
उत्तर
1..के लिये इस अर्थ में, 2..खदितुम्, 3..भवितुम्, 4..गन्तुम्, 5..बालकः पठितुं विद्यालयं गच्छति।
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शतृ प्रत्यय के लिये इसे पढिये..
शानच प्रत्यय Explanation And Example