ल्यप् प्रत्यय उदाहरण और वाक्य

ल्यप् प्रत्यय एक पूर्वकालिक कृदन्त प्रत्यय है।इस प्रत्यय का प्रयोग ‘ करके ‘ (After Doing)इस अर्थ में होता है।

जैसे.. सीतां आदाय रामः वनं अगच्छत्। सीता को लेकर राम वन को गये।

इस प्रत्यय से बने शब्द, अव्यय बन जाते हैं।

**ल्यप् को धातु के साथ जोड़ने के, या इसे जोड़ कर रूप बनाने के नियम..निम्नलिखित हैं….

  • यदि धातु से पहले कोई उपसर्ग आये तो ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है।
  • इस प्रत्यय के लिये उपसर्ग का होना आवश्यक है।धातु से पूर्व यदि उपसर्ग नही है तो ल्यप् का प्रयोग नही हो सकता।
  • ल्यप् का केवल य ही शेष रह जाता है,ल् और प् का लोप हो जाता है।
  • यदि धातु के अन्त में आ,ई,ऊ में से कोई स्वर होता है तो ल्यप् का केवल’ य ‘ लगता है।
  • जैसे… उत् + स्था + ल्यप् ( ल्यप् का य )
  • उत् +स्था +य =उत्थाय ( उठकर) आ +दा + ल्यप् (ल्यप् का य )
  • आ +दा + ल्यप् (ल्यप् का य )
  • आ +दा +य = आदाय

क्योंकि यहां स्था के अन्त में आ स्वर है,इसलिये य् का प्रयोग हुआ है।

  • परन्तु यदि धातु के अन्त में कोई ह्रस्व स्वर (अ,इ,उ,ऋ )होता है,तो य के पहले त् लगता है।

वि +जि +ल्यप् यहां पर जि धातु में हस्व स्वर है,इसलिये ल्यप् के य के पूर्व त् का भी जुडेगा..

  • वि + जि +त् + ल्यप् ( ल्यप् का य )=विजित्य ( विजय करके )

**जि धातु के अन्त में इ…ह्रस्व स्वर है,इसलिये त् लगा है।

  • यदि धातु के अन्त में दीर्घ ऋ आती है,तो ऋ + ल्यप् = ईर्य हो जाता है।
  • जैसे..वि + कृ +ल्यप् = विकीर्य
  • अव + तृ +ल्यप् = अवतीर्य
  • 👉जिन धातुओं के अन्त में म या न होता है,उनके साथ ल्यप् जोड़ने पर धातु के न या म् का लोप होता है। परन्तु…
  • यह लोप विकल्प से अर्थात कही होता है और कही नही होता है।

जैसे…

  • आ + गम् + ल्यप् = आगम्य (म् का लोप नही)
  • आ + गम् + ल्यप् = आगत्य (म् का लोप हो कर ) म का लोप हो कर य के पहले त् लगा है। म् का लोप होने पर ग में अ स्वर है अतः त् का प्रयोग हुआ है।

ल्यप् प्रत्यय के 50+ उदाहर

सम् आघ्रा + ल्यप्समाघ्राय
प्रतिज्ञा + ल्यप्प्रतिज्ञाय
सम्तृ + ल्यप्संतीर्य
प्रभञ्ज् + ल्यप्प्रभज्य
अनुवद् + ल्यप्अनुद्य
प्रबुध्+ ल्यप्प्रबुध्य
सम्पृच्छ् + ल्यप्संपृच्छ्य
नीपा + ल्यप्निपीय
विलप् + ल्यप्विलप्य
निशम् +ल्यप्निशम्य
विलिख् +ल्यप्विलिख्य
उप्लभ् +ल्यप्उपलभ्य
निपत् +ल्यप्निपत्य
प्रआप् +ल्यप्प्राप्य
सम्आप् +ल्यप्समाप्य
अनुकृ +ल्यप्अनुकृत्य
विक्री +ल्यप्विक्रीय
निक्षिप् +ल्यप्निक्षिप्य
विगण् +ल्यप्विगण्य
श्रि +ल्यप्आश्रित्य
कर्ण +ल्यप् आकर्ण्य
इ +ल्यप् एत्य
प्रविश् +ल्यप्प्रविश्य
सम्हृ +ल्यप्संहृत्य
सम् +अनु इष् +ल्यप् समन्विष्य
विहस् +ल्यप्विहस्य
विस्मृ +ल्यप्विस्मृत्य
निहृ +ल्यप्निहृत्य
उप्स्पृश् +ल्यप्उपस्पृश्य
उत् स्था +ल्यप्उत्थाय
विसृज् +ल्यप्विसृज्य
विज्ञा +ल्यप्विज्ञाय
अधिई +ल्यप्अधीत्य
निर्ईक्ष्य् +ल्यप्निरीक्ष्य
परिईक्ष्य् +ल्यप्परीक्ष्य
सम्दृश् +ल्यप्संदृश्य
विधा +ल्यप्विधाय
प्रनत् +ल्यप्प्रणत्य
प्रनम् +ल्यप्प्रणम्य
नी +ल्यप्आनीय
गम् +ल्यप्आगम्य
गम् +ल्यप्आगत्य
सम्ग्रह् +ल्यप्संगृह्य
अनुग्रह् +ल्यप्अनुगृह्य
सम्चित् +ल्यप्संचित्य
निसिञ्च् +ल्यप्निषिन्च्य
अवरुद्ध् +ल्यप्अवरुद्ध्य
सम्मथ् +ल्यप्संमथ्य
अवमन् +ल्यप्अवमत्य
अव लोक् +ल्यप् अवलोक्य
विभ्रम् +ल्यप्विभ्रम्य्
सम्भू +ल्यप्संभूय
रुह् +ल्यप्आरुह्य
सम्दंश् +ल्यप्संदश्य
परित्यज् +ल्यप्परित्यज्य
विकृ +ल्यप्विकृत्य
विहा +ल्यप्विहाय
सम्चित् +ल्यप्संचित्य
विछिद् +ल्यप्विछिद्य

ल्यप् प्रत्यय से बने पदों का वाक्य में प्रयोग

  • हस्तौ प्रक्षाल्य भोजनं कुर्यात।
  • हाथों की धो कर भोजन करना चहिये
  • मातापितरौ प्रणम्य पुत्रः विदेशं गच्छति।
  • माता पिता को प्रणाम करके पुत्र विदेश जाता है।
  • भक्तः शिवम् संपूज्य सुखं लभ्यते।
  • भक्त शिव की पूजा करके सुख प्राप्त करता है।
  • एवं विचार्य सः अवदत्।..
  • ऐसा सोच कर वह बोला।
  • सर्वं विज्ञाय देवः अवदत्।
  • सब जान कर देव ने कहा।
  • धनम् प्राप्य सेवकः प्रसीदति।
  • धन प्राप्त करके सेवक प्रसन्न होता है।
  • आलस्यं विहाय उद्यमम् कुरु।
  • आलस्य को छोड़ कर परिश्रम करो।
  • सः गृहे प्रविश्य अवदत्।
  • उसने घर में प्रवेश करके कहा।
  • आत्मा जीर्णं शरीरं विहाय नवीनं देहं संयाति।
  • आत्मा पुराने शरीर को छोड़ कर नए शरीर में जाती है।
  • सा अभिवाद्य अगच्छत्।
  • वह अभिवादन करके गई।
  • निपुण: निरीक्ष्य पठति।
  • आसने उपविश्य पत्रम् लिख्।
  • आसन पर बैठकर पत्र लिखो।
  • रामायणं संपठ्य शान्तिं लभते।
  • रामायण पढ़ कर शान्ति मिलती है।
  • अथर्वः विद्यालयात् आगम्य भोजनं खादति।
  • अथर्व विद्यालय से आकर भोजन करता है।
  • त्वम् वृक्षं आरुह्य किम् करोषि?
  • तुम वृक्ष पर चढ़ कर क्या कर रहे हो।
  • छात्रः गुरुकुलम् प्रविश्य गुरुं प्रणमति।
  • छात्र गुरुकुल में प्रवेश करके गुरु को प्रणाम करता है।
  • सेवकः स्वामिनं प्रशस्य सुखं लभते।
  • सेवक स्वामी की सेवा करके सुख प्राप्त करता है।
  • अहम् कुपथं परित्यज्य सुपथं ग्रहीष्यामि।
  • सुधा विहस्य मातरं वदति।
  • सुधा हंस कर माता से बोली।

प्रश्न

  • 1..ल्यप् किस अर्थ में प्रयुक्त होता है?
  • .2.उत् +स्था +ल्यप् =?
  • 3..कार्यं समाप्य पठ.. रेखांकित शब्द का प्रकृति अलग करिये..
  • 4..सर्वम् विज्ञाय सः अवदत्…रेखांकित शब्द का प्रकृति अलग करिये..
  • 5..निपुणं निरीक्ष्य पठति.. सही विकल्प चुनिये… क..निर् +ईक्ष , ख.. निर् +ईक्ष् +ल्यप्, ग.. निरी +ईक्ष्य
  • 6..प्रत्यागत्य इसका प्रकृति प्रत्यय क्या है?

उत्तर..

  • 1..ल्यप् एक पूर्वकालिक कृदन्त प्रत्यय है।इस प्रत्यय का प्रयोग ‘ करके ‘(After Doing)इस अर्थ में होता है।
  • 2..उत्थाय.
  • 3..सम् +आप् +ल्यप्
  • 4..वि +ज्ञा +ल्यप्
  • 5..निर् +ईक्ष् +ल्यप्
  • प्रति +आ +गम् +ल्यप्

शतृ प्रत्यय के लिये इसे देखिये

णिनि इनि प्रत्यय और उदाहरण

तव्यत प्रत्यय परिचय उदाहरण

अनीयर प्रत्यय संस्कृत व्याकरण

संस्कृत संज्ञा विधायक सूत्र

शानच प्रत्यय के लिये इसे देखें

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