शतृ प्रत्यय किसे कहते हैं,यह कैसे प्रयोग किया जाता है तथा किस अर्थ में किसके साथ प्रयोग किया जाता है, इस प्रत्यय के प्रयोग के नियम,यह सब् हम इस लेख के द्वारा जानेंगे…
- ” शतृ ” एक वर्तमान कालिक कृदन्त प्रत्यय है।
- इसका प्रयोग परस्मैपद धातुओं के साथ होता है।
- कुछ धातुएं जो उभयपदी हैं,अर्थात जिनके रूप आत्मनेपद तथा परस्मैपद दोनों में चलते हैं उनके साथ भी इस प्रत्यय का प्रयोग होता है।
- शतृ का प्रयोग “किसी एक कार्य को करते हुए दूसरे कार्य को करना” इस अर्थ में भी होता है.
जैसे.. 1विद्यालयं प्रविशन्तः छात्राः गुरुम् नमन्ति। विद्यालय में प्रवेश करते हुए छात्र गुरु को प्रणाम करते हैं।
…….2.सः हसन् खादति।वह हंसते हुए खाता है। इस वाक्य में खाने के साथ हंसने का भी कार्य हो रहा है।
- इसका प्रयोग “रहा है, रही है “इस अर्थ में भी होता है।
- जैसे..सः पठन् अस्ति।( वह पढ़ रहा है।)
- कविता गच्छन् अस्ति। (कविता जा रही है।)
- दो वाक्यों को जोड़ने के लिये भी इस प्रत्यय क प्रयोग किया जाता है ।
जैसे .. सः खादति। सः वदति। शतृ का प्रयोग करके यह एक वाक्य में बदल जायेगा.. सः खादन् वदति । वह खाते हुए बोलता है।
Shatri Pratyay शतृ प्रत्यय के प्रयोग के नियम
धातु के साथ शतृ का अत् जुड़ता है, श तथा ऋ का लोप हो जाता है।
- जैसे..लिख् + शतृ ( अत् )= लिखत्
- पुलिन्ग में अत् का अन् , स्त्रीलिंग में “अन्ती “तथा नपुन्सक् लिङ्ग में ” अत्” रहता है।
- पुलिङ्ग् में इसका रूप लिखन् बनता है। जैसे..लिख् + शतृ >अन् =पठन्
- पुलिङ्ग् से स्त्रीलिङ्ग रूप बनाने के लिये ङीप प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
- ङीप् प्रत्यय का ई जुड़ता है तथा त् के पहले नुम् अर्थात न् जुड़ जाता है इस प्रकार और रूप बनता है… पठन्ती
- पठन् + न् + ङीप् (ई ) = पठन्ती
- नपुंसक लिङ्ग में “पठत् ” रूप बनता है।
शतृ के प्रयोग से बने क्रिया शब्द विशेषण पद बन जाते हैं। तथा इनके लिङ्ग , वचन और विभक्ति अपने विशेष्य की तरह होते हैं।
- जैसे..पतन् बालकः। गिरता हुआ बालक।
- पतन्ती बालिका। गिरती हुई बालिका।
- पतत् फलम्। गिरता हुआ फल।
👉इस प्रत्यय से बने विशेषण शब्दों के रूप सात विभक्तियों मे तथा तीनों लिङ्ग में चलते हैं।
👉 पुलिङ्ग् मे लगभग सभी रूप भवान् की तरह निम्न लिखित प्रकार से बनेंगे…
पठ्+ शतृ = पठन् ..शब्द रूप
एक वचन | द्वि.वचन | बहु वचन |
पठन् | पठन्तौ | पठन्तः |
पठन्तं | पठन्तौ | पठतः |
पठता | पठत्भ्यां | पठत्भिः |
पठते | पठत्भ्यां | पठत्भ्यः |
पठतः | पठत्भ्यां | पठत्भ्यः |
पठतः | पठतोः | पठताम् |
गच्छति पठति | पठतोः | पठत्सु |
हे पठन् ! | हे पठन्तौ ! | हे पठन्तः! |
👉इस प्रत्यय से बने शब्द से स्त्रीलिङ्ग् के सभी रूप नदी के रूप के समान बनेंगे.
स्त्रिलिङ्ग् रूप..
पठन्ती | पठन्त्यौ | पठन्त्य: |
पठन्तीम् | पठन्त्यौ | पठन्ती: |
पठन्त्या | पठन्तीभ्यां | पठन्तिभिः |
पठन्त्यै | पठन्तीभ्यां | पठन्तीभ्य: |
पठन्त्याः | पठन्तीभ्यां | पठन्तीभ्य |
पठन्त्याः | पठन्त्योः | पठन्तीनाम् |
पठन्त्यां | पठन्त्योः | पठन्तीषु |
हे पठन्ती | हे पठन्त्यौ | हे पठन्त्य: |
👉नपुन्सक् लिङ्ग के रूप जगत् शब्द के समान बनेंगे..
पत् + शतृ..नपुन्सक् लिङ्ग रूप
पतत् | पतती | पतन्ति |
पतत् | पतती | पतन्ति |
पतता | पतद्भ्यां | पतद्भिः |
पतते | पतद्भ्यां | पतद्भ्यः |
पततः | पतद्भ्यां | पतद्भ्यः |
पततः | पततोः | पतताम् |
पतति | पततोः | पतत्सु |
हे पतत् | हे पतती | हे पतन्ति |
Shatri Pratyay Example
शतृ प्रत्यय से बने शब्दों के उदाहरण तीनों लिंग में…
धातु | धातु काअर्थ | पुलिंग रूप | स्त्रीलिंग रूप | नपुंसक लिंग रूप |
अनु इष् | ढूंढना | अन्विष्यन् | अनविष्यन्ती | अन्विष्यत् |
अर्च् | पूजना | अर्चन् | अर्चती | अर्चत् |
आ कर्ण | सुनना | आकर्ण्यन | आकर्णयंती | आकर्णयत् |
आ कार | बुलाना | आकार्यन् | आकार्यन्ती | आकार्यत् |
आ दिश् | आज्ञा देना | आदिशन् | आदिशन्ती | आदिशत् |
आ नी | लाना | आनयन् | आनयन्ती | आनयत् |
आप् | प्राप्त करना | आप्नुवन् | आप्नुवती | आप्नुवत् |
आ +रुह् | चढ़ना | आरोहन् | आरोहन्ती | आरोहत् |
इष् | इच्छा | इच्छन् | इच्छन्ती | इच्छत् |
उप् +दिश् | उपदेश देना | उपदिशन् | उपदिशन्ती | उपदिशत् |
कथ् | कहना | कथयन् | कथयन्ती | कथयत् |
कुप् | गुस्सा होना | कुप्यन् | कुप्यन्ती | कुप्यत् |
कूज् | कूजना | कूजन् | कूजन्ती | कूजत् |
कृ | करना | कुर्वन् | कुर्वती | कुर्वत् |
क्री | खरीदना | क्रीणन् | क्रीणन्ती | क्रीणत् |
क्रीड् | खेलना | क्रीडन् | क्रीडन्ती | क्रीडत् |
खाद् | खाना | खादन् | खदन्ती | खादत् |
गण् | गिनना | गणयन् | गणयन्ती | गणयत् |
गर्ज् | गर्जना | गर्जन् | गर्जन्ती | गर्जत् |
गुञ्ज् | गूंजना | गुञ्जन् | गुञ्जन्ती | गुञ्जत् |
गै | गाना | गायन् | गयन्ती | गायत् |
घ्रा | सूंघना | जिघ्रन् | जिघ्रन्ती | जिघ्रत् |
चल् | चलना | चलन् | चलन्ती | चलत् |
चर् | चरना | चरन् | चरन्ती | चरत् |
चिन्त् | चिंता करना | चिन्तयन् | चिन्तयन्ती | चिन्तयत् |
चुर् | चुराना | चोरयन् | चोर्यन्ती | चोरयत् |
छिद् | काटना | छिन्दन् | छिन्दन्ती | छिन्दत् |
जागृ | जागना | जाग्रन् | जाग्रन्ती | जाग्रत् |
जीव् | जीना | जीवन् | जीवन्ती | जीवत् |
ताड् | पीटना | ताडयन् | ताडयन्ती | ताडयत् |
दन्श् | डसना | दशन् | दशन्ती | दशत् |
दह् | जलना | दहन् | दहन्ती | दहत् |
दा | देना | ददन् | ददती | ददत् |
दृश् | देखना | पश्यन् | पश्यन्ती | पश्यत् |
निन्द् | निन्दा करना | निन्दन् | निन्दन्ती | निन्दत् |
नी | ले जाना | नयन् | नयन्ती | नयत् |
नृत् | नाचना | नृत्यन् | नृयन्ती | नृत्यत् |
पठ् | पढ़ना | पठन् | पथन्ती | पठत् |
पत् | गिरना | पतन् | पतन्ती | पतत् |
पा | पीना | पिबन् | पिबन्ती | पिबत् |
प्रच्छ् | पूछना | पृच्छन् | पृच्छन्ती | पृच्छत् |
प्र आप् | प्राप्त करना | प्राप्नुवन् | प्राप्नुवन्ती | प्राप्नुवत् |
पूज् | पूजा करना | पूजयन् | पूजयन्ती | पूजयत् |
बध् | बांधना | बन्ध्नन् | बन्ध्नन्ती | बन्ध्नत् |
रच् | बनाना | रचयन् | रचयन्ती | रचयत् |
लिख् | लिखना | लिखन् | लिखन्ती | लिखत् |
वस् | रहना | वसन् | वसन्ती | वसत् |
शक् | सकना | शक्नुवन् | शक्नुवन्ती | शक्नुवत् |
स्था | ठहरना | तिष्ठन् | तिष्ठन्ती | तिष्ठत् |
स्पृश् | छूना | स्पृशन | स्पृशन्ती | स्पृशत् |
स्वप् | सोना | स्वपन् | स्वपन्ती | स्वपत् |
स्मृ | याद करना | स्मरन् | स्मरन्ती | स्मरत् |
हृ | ले जाना | हरन् | हरन्ती | हरत् |
शतृ प्रत्यय से बने शब्दों के20+ वाक्य….
1.. अहम् विचारयन् ब्रवीमि।
मैं विचार करता हुआ बोलता हूं।
2..त्वम् गायन्तीम् बालिकाम् पश्यसि।
तुम गाती हुई बालिका को देखते हो।
3..मेघ गर्जनम् श्रुत्वा मयूरः नृत्यति।
मेघ गर्जन सुन कर मोर नाचता है।
4..पाठं स्मरन्ती कन्या अस्वपत्।
पाठ याद करती हुई कन्या सो गई।
5..अध्यापयन् शिक्षकः श्यामपट्टे लिखति।
पढ़ाता हुआ शिक्षक श्याम पट्ट पर लिखता है।
6..वृक्षात् पतत् पत्रम् पश्य।
वृक्ष से गिरते हुए पत्ते को देखो
7..रामः खादन् वदति ।
राम खाता हुआ बोलता है,
8..अहम् विद्यालयम् धावन् गच्छामि।
मैं विद्यालय दौड़ते हुए जाता हूं।
9 ..छात्राः क्रीडन्त्यः गायन्ति।
छात्र खेलते हुए गाती हैं।
10 ..त्वम् पुस्तकं पठन् गच्छति।
तुम पुस्तक पढ़ते हुए जाते हो।
11…गृहम् गच्छन्तम् मां पश्य।
घर जाते हुए मुझे देखो।
12…नृत्यन्ती राधिका गीतं गायति ।
नाचती हुई राधिका गीत गाती है।
13.. शिक्षयन्ती शिक्षिका चित्रम् दर्शयति।
पढ़ाती हुई शिक्षिका चित्र दिखाती है।
14..अश्वं अरोहन्ती वृद्धा अपतत्।
घोड़े पर चढ़ती हुई वृद्धा गिर गई।
15..नृत्यन् नर्तकः आभूषणानि धारयति।
16..लिखन्त्याः छात्रायाः हस्तात् कलमं अपतत्।
लिखती हुई छात्रा के हाथ से कलम गिर गई।
17..पाठयन् आचार्यः शयाम्पट्टे लिखति।
पढ़ाते हुए आचार्य श्यामपट्ट पर लिखते हैं।
18..ताल्वाद्यं वादयन् कलाकारः श्रोतिभिः प्रशंस्यते।
तबला वादन करता हुआ कलाकार श्रोताओं द्वारा प्रशंसा किया जाता है।
19.. पतत् फलम् पक्वं अस्ति।
गिरता हुआ फल पका है।
2p..वृक्षम आरोहन् कपिः इतस्ततः पश्यति।
पेड़ पर चढ़ता हुआ बन्दर इधर उधर देखता है।
21..चलन्ती उमा मार्गं पृच्छति।
चलती हुई उमा मार्ग पूछती है।
22..रुप्यकाणि गणयन् धनिकः प्रसीदति।
रुपए गिनता हुआ धनिक प्रसन्न होता है।
23..कथाम् श्रिणवन्ती कविता तूष्णीम् उपविशति ।
कथा सुनती हुई कविता शान्त बैठती है।
द्विवचन..
1..हसन्तौ बालकौ चित्रम् पश्यतः।
हंसते हुए दो बालक चित्र देखते हैं।
2..गच्छन्त्यौ बालिके वार्तालापं कुरुतः।
जाती हुई दो लड़कियां वार्तालाप करती हैं।
3..युवाम् पठ्यन्तौ स्थः।
तुम दोनो पढ़ रही हो।
बहुवचन…
1..नृत्यन्तः मयूराः शोभन्ते।
नृत्य करते हुए मोर सुन्दर लगते हैं।
2..कूर्दन्तः वानराः न पतन्ति।
कूदते हुए वानर नहीं गिरते हैं।
3..जलं आनयन्त्यः नार्यः परं वार्तालापं कुर्वन्ति।
जल लाती हुई नारियां आपस में बात करती हैं।
4..विकसन्ति पुष्पाणि कस्मै न रोचन्ते।
खिलते हुए पुष्प कैसे नहीं अच्छे लगते हैं।
5..गच्छत् यानं धूमं मुञ्चति।
चलता हुआ वाहन धुआं छोड़ता है।
6.. प्रवहत् जलं शुद्धं भवति।
बहता हुआ जल शुद्ध होता है।
इस प्रत्यय से बने शब्दों के, रहा है , रही है , रहे हैं अर्थ वाले वाक्य के उदाहरण…
1..रामः पुस्तकं पठन् अस्ति।
राम पुस्तक पढ़ रहा है।
2..मिली नृत्यन्ती अस्ति।
मिली नाच रही है।
3..वृक्षात् पत्राणि पतन्ति सन्ति।
वृक्ष से पत्ते गिर रहे हैं।
4..वयं फलानि खादन्तः स्मः।
हम सब फल खा रहे थे।
5..बालिकाः क्रीड्यन्तः सन्ति।
लड़कियां खेल रही हैं।
6..कक्षायां प्रविशयन्तः छात्राः किमपि न वदन्ति।
प्रश्न -उत्तर…
1..पत्रं लिखन्ती बालिका मातरं स्मरति..मे प्रकृति प्रत्यय क्या है?
क.. लिख् + शतृ+ङीप् , ख .. लिख् +शतन् , ग.. लिख् + शानच्
2.. तबला वादयन् कलाकारः.. मे प्रकृति प्रत्यय क्या है?
क… वाद + अयन , ख..वाद् +शतृ?
3..पतन्ति पत्राणि वायुना नीयन्ते..मे प्रकृति प्रत्यय क्या है?
क.. पत् + अन्ति, पत् + शतृ, ग.. पत् + अन्त +ङीप्
4.. आरोहन् कपिः इतस्ततः पश्यति..मे प्रकृति प्रत्यय क्या है?
क… आ +रुह् + अत्, ख..आ +रुह् + शतृ , ग. आ +रुह् +अन्
5.. प्रश्न.. शतृ प्रत्यय का प्रयोग किस प्रकार कि धातुओं के साथ होता है?
6. प्रश्न.. स्त्री लिङ्ग बनाने के लिये शतृ के साथ किस प्रत्यय का प्रयोग होता है?
7.प्रश्न.. गम् + शतृ से कौन सा शब्द बनेगा?
8.प्रश्न. पिता (हस् +शतृ ) पुत्रं पठनाय कथयति?
9..प्रश्न.. नाटकं (दृश् +शतृ ) दर्शकाः करतलवादनम् कुर्वन्ति?
10.प्रश्न.. मार्गं (प्रच्छ् +शतृ ) पथिकैः छायायाम् विश्राम्यते?
उत्तर…1..क ) 2.. ख ), 3.. ख ) 4.. ख ) 5.. परस्मैपद धातुओं के साथ ), 6..ङीप् , 7..गच्छन्, 8.हसन्तम् , 9..पश्यन्तः, 10.प्रिच्छद्भिः
👉कोष्ठकात् शुद्धं रूपं विचित्य रिक्तस्थानानि पूरयत (कोष्ठक से शुद्ध रूप चुनकर खाली स्थानों को पूरा कीजिए)
यथा – जनाः…….-‘नद्याः जलं पिबन्ति (प्रवहन्त्याः /प्रवहत्यः) जनाः प्रवहन्त्याः नद्याः जलं पिबन्ति ।
(i) भक्त्या………… देव्याः वरं प्राप्स्यामि । (प्रसीदन्त्याः/ प्रसीदन्ती)
(ii) भगवन्……….. आपत्तिभ्यः पाहि माम्। (आगच्छद्म्यः/ आगच्छन्तीभ्यः)
(iii………. छात्रायाः हस्तात् कलमम् अपतत्। (लिखन्त्याः/लिखतः)
(iv………. सिंहात् अहं भीतः । (गर्जतः/ गर्जन्त्याः)
(v) त्वम् अपि………बालिकया सह क्रीड । (क्रीडन्त्या/ क्रीडन्त्याः)
(vi)…………अध्यापिकानां वासः छात्रावासे एव । (पाठयन्तीनाम्/ पाठयताम्)
उत्तर…1…प्रसीदन्त्याः ,2..आगच्छद्म्यः, 3.लिखन्त्याः ,4.गर्जतः ,5.क्रीडन्त्या,6 पाठयन्तीनाम्
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आप स्वयं करिये…..
- 1.पथिकः सरोवरं प्रति गच्छन् अस्ति ।
- (क) गम् + शानच् (ख) गम् + शतृ (ग) गम् + क्त्वा (घ) गम् + ल्यप्
- 2..नृत् + शतृ लता प्रसन्ना भवति ।
- (क) नृत्यन् (ख) नृत्यता (ग) नृत्यन्ती (घ) नृत्यति
- 3..धाव् + शतृ बालकाः पतन्ति ।
- (क) धवता (ख) धावन् (ग) धावन्तः (घ) धावितुम्
- 4..आम्रम् खाद् + शतृ बालः प्रसन्नः भवति ।
- (क) खादितः (ख) खादन् (ग) खादन्तम् (घ) खादन्ती
- 6..उद्याने क्रीडू + शतृ बालिकाः प्रसीदन्ति ।
- (क) क्रीडन्ती (ख) क्रीडन् (ग) क्रीडन्त्यः (घ) क्रीडन्तः
- 7…हसन्ती बालिका चित्रं पश्यति ।
- (क) हस् + ल्यप् (ख) हस् + क्त्वा (ग) हस् + शतृ (घ) हस् + शानच्
- 8..गम् + शतृ यानं ध्वनिं करोति ।
- (क) गच्छन्ती (ख) गच्छता (ग) गच्छत् (घ) गच्छन्
- 9..इति चिन्तयन् मुनिः तत्रैव अतिष्ठत् ।
- (क) चिन्त् + शतृ (ख) चिन्त् + शानच् (ग) चिन्त् + क्त्वा (घ) चिन्त् + ल्यप्
ठक् प्रत्यय परिचय उदाहरण के लिये इसे देखें..
अनीयर प्रत्यय के लिये इसे देखिये..
संस्कृत संज्ञा विधायक सूत्र के लिये यहां जाइये