Tva Aur Tal Pratyay Parichaya

Tva Aur Tal Pratyay..त्व और तल् प्रत्यय तद्धित प्रत्यय के अन्तर्गत आते हैं। ये संज्ञा सर्वनाम आदि के साथ प्रयोग किए जाते हैं।

इन प्रत्ययों का प्रयोग भाव वाचक संज्ञा बनाने के लिये किया जाता है।

Tva Pratyay त्व प्रत्यय…

  • किसी शब्द से भाव वाचक संज्ञा बनाने के लिये त्व प्रत्यय क प्रयोग किया जाता है।
  • त्व प्रत्यय पूरा जुड़ता है, इसका कोई भी अक्षर लुप्त नहीं होता है।
  • इस प्रत्यय जुड़ने के बाद बने हुए शब्द सदा नपुंसक लिङ्ग में होते हैं। इससे बने शब्दों के रूप फल (फलम्) के समान चलते हैं।
  • जैसे.. गो + त्व =गोत्वम्
  • मधुरत्वं
  • महत्वम्
  • लघुत्वम् आदि

Tal Pratyay तल् प्रत्यय…

  • तल् प्रत्यय का प्रयोग भी भाव वाचक संज्ञा बनाने के लिये किया जाता है। इस प्रत्यय का त जुड़ता है,ल् का लोप हो जाता है ।
  • तल् प्रत्ययान्त शब्दों के साथ टाप् आ प्रत्यय जोड़ा जाता है। इस प्रत्यय बने शब्द स्त्री लिङ्ग बन जाते हैं।

जैसे.. महत् +तल् > त = महत्त्.

महत्त् +टाप् >आ = महत्ता

इसी प्रकार.. सुन्दरता , मधुरता, न्यूनता , कोमलता आदि।

  • तल् प्रत्यय से बने शब्दों के रूप लता के समान बनते हैं।

Tva Aur Tal Pratyay त्व और तल् प्रत्यय से बने शब्द..

मूल शब्दत्व प्रत्यय के रूपतल् प्रत्यय के रूप
अजअजत्वम्….
असुरअसुरत्वम्असुरता
कटुकटुत्वंकटुता
कठोरकठोरत्वम्कठोरता
क्रूरक्रूरत्वम्क्रूरता
कृतिकृतित्वं……
कुशलकुशलत्वम्कुशलता
खिन्नखिन्नत्वम्खिन्नता
गुरुगुरुत्वम्गुरुता
चञ्चलचञ्चलत्वम्चञ्चलता
चारुचारुत्वंचारुता
जड़जड़त्वम्जड़ता
जनजनत्वंजनता
लघुलघुत्वम्लघुता
दिव्यदिव्यत्वम्दिव्यता
दीर्घदीर्घत्वम्दीर्घता
दृढ़दृढ़त्वम्दृढ़ता
दीनदीनत्वंदीनता
देवदेवत्वंदेवता
निर्मलनिर्मलत्वम्निर्मलता
निजनिजत्वम्निजता
नृपनृपत्वं…..
पवित्रपवित्रत्वम्पवित्रता
विद्वस्विद्वत्वम्विद्वता
पटुपटुत्वपटुता
परपरत्वम्…..
पशुपशुत्वपशुता
पुरुषपुरुषत्वं…..
ब्राहमणब्राह्मणत्वब्राह्मणता
भवितव्यभवितव्यम्भवितव्यता
भिन्न्नभिन्नत्वंभिन्नता
मूर्खमूर्खत्वम्मूर्खता
मानवमानवत्वम्मानवता
मनुष्यमनुष्यत्वम्मनुष्यता
मृदुमृदुत्वंमृदुता
मित्रमित्रत्वम्मित्रता
मातृमातृत्वम्……
महत्महत्त्वम्महत्ता
वीरवीरत्वंवीरता
शत्रुशत्रुत्वम्शत्रुता
शूरशूरत्वंशूरता
शूद्रशूद्रत्वम्शूद्रता
शुक्लशुक्लत्वशुक्लता
शिशुशिशुत्वशिशुता
साधुसाधुत्वम्साधुता
स्त्रीस्त्रीत्वम्….
स्निग्धस्निग्धत्वम्स्निग्धता
सज्जन…….सज्जनता
हीनहीनत्वम्हीनता

नोट.. त्व और तल् प्रत्यय से बने हुए शब्द जब वाक्य में प्रयोग किये जायेंगे तो विभक्ति के अनुसार उनके रूप बनेंगे।

जैसे.. ते मित्रतां न कुर्वन्ति। इस वाक्य में मित्र +तल् = मित्रता का मित्रताम् द्वितीया विभक्ति में प्रयुक्त हुआ है।

Tva Aur Tal Pratyay Ke Vakya

त्व और तल् प्रत्यय के वाक्य

त्व प्रत्यय के वाक्य

1..विद्वत्वम् च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।

2..ग्रीष्मकाले सूर्यस्य प्रचण्डत्वं असह्यं भवति।

3..विद्यायाः महत्वं सर्वे जानान्ति।

4..मनस्य गूढ़त्वम् मपनीयं न अस्ति।

5..बालस्य चपलत्वं मनोहारी भवति।

6..काव्यस्य मधुत्वं सहृदयाः एव जानान्ति।

7..यः परिश्रमस्य महत्वम् न जानाति, सः सफलतां न प्राप्नोति।

8..मित्रतायाः महत्वम् अधिकं भवति।

9..कीदृशं तव मूर्खत्वं।

10..वाण्यां मधुरत्वेन जनाः प्रसीदन्ति।

11..न अस्ति अमरत्वं हि कस्यचित् प्राणिनः भुवि.।

तल् प्रत्यय के वाक्य

1..वचने व्यवहारे च एकरूपता भवितव्यं।

2..वाण्यां मधुरतया सर्वे जनाः प्रसीदन्ति।

3..अवक्रता यथा चित्ते तथा वाचि भवेत्।

4..वचने का दरिद्रता?

5..अविवेकता तु अनर्थाय भवति।

6..बालस्य चंचलता मनोहारी भवति।

7..कौटिल्यस्य बुद्धिमताम् सर्वे जानान्ति।

(इस वाक्य में बुद्धिमताम् शब्द द्वितीया एक वचन में है, जिसका अर्थ है बुद्धिमता को।)

8..प्रकृतेः रमणीयता दर्शनीया अस्ति।

9.. रुग्णता कष्टदायिनी भवति।

10..पर्यावरणस्य स्वच्छता स्वास्थ्यकरी भवति।

11.. संस्कृत विषये रमायाः दक्षता प्रशंसनीया वर्तते।

12.. मनसः चंचलता उचितं नास्ति।

13.. मूर्खैः सह् मित्रता नोचिता।

एक श्लोक का भाग है.. विनयाद् याति पात्रताम्

पात्रत्वाद् धनं आप्नोति।

इसमें पात्रतां शब्द तल् प्रत्यय से बना है.. और वाक्य में द्वितीया विभक्ति एक वचन में प्रयुक्त हुअ है।

दूसरी पंक्ति में पात्रत्वाद् त्व प्रत्यय से बना है , तथा वाक्य में… पंचमी विभक्ति एक वचन में प्रयुक्त हुआ है।

तल् प्रत्यय का एक गीत इस प्रकार है..

वाचि सरसता हृदि निर्मलता

व्यवहारे सज्जनता

भाति सतां प्रकृतौ प्रिय!शृणु रे

रमणीया मानवता।

Tva Aur Tal Pratyay प्रश्न उत्तर

प्रश्न..

  1. .. सा मधुरा कवि +तल् गायति?
  2. .. नगरे जन +तल् वसति?
  3. .. देवालस्य सुन्दर +तल् पश्य..
  4. .. जनाः उद्यानस्य रमणीयतां दृष्ट्वा विस्मिता भवन्ति..
  5. त्वं माम् स्व अज्ञान +तल् मा दर्शय?

(क)रमणीय +तल् (ख) रमणीयता +म् (ग) रमणम् +तल्

उत्तर.. 1..कविता , 2..जनता, 3..सुन्दरतां, 4 रमणीय +तल्, 5.अज्ञानताम्

तव्यत् प्रत्यय के लिए इसे पढ़िए

अनीयर प्रत्यय के लिए इसे पढ़िए

शतृ प्रत्यय के लिए इसे पढ़िए

संस्कृत संज्ञा विधायकसूत्र के लिए इसे पढ़िए

णिनि इनि प्रत्यय के लिये इसे देखें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top