युक्त या वाला अर्थ में संज्ञा शब्दों के साथ णिनि-इनि प्रत्यय का प्रयोग होता है। इनि,णिनि का ही रूप है।
- जैसे ज्ञान + णिनि >इन् = ज्ञानी अर्थात ज्ञान से युक्त/वाला ।
- फल + णिनि >इन् = फली अर्थात फल से युक्त/ फल वाला।
णिनि/इनि प्रत्यय भी मतुप् प्रत्यय की भांति प्रयुक्त होता है।यह कर्तृ वाच्य मे प्रयुक्त होता है, तथा अकारान्त संज्ञा शब्दों के साथ इस प्रत्यय का प्रयोग होता है।
णिनि-इनि प्रत्यय के प्रयोग के नियम
- णिनि प्रत्यय का केवल इन् जुड़ता है, ण और अन्तिम इ का लोप हो जाता है।
- जैसे गुण + णिनि > इन् = गुणिन् ।
- णिनि/इनि से बने शब्द विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
- वाक्य में जिस शब्द के विशेषण के रूप में ये प्रयुक्त होते हैं, उसी शब्द के समान इनके लिङ्ग विभक्ति तथा वचन होते हैं।
- जैसे…कर्ण दानी आसीत्।इस वाक्य में कर्ण..पुलिंग एक वचन में है, अतः दानी पद भी पुलिंग एक वचन में प्रयुक्त हुआ है।
- क्योंकि इनि प्रत्यय से बने शब्द विशेषण होते हैं अतः तीनों लिङ्गों में इसका रूप चलता है।
- पुलिङ्ग् में दण्डिन् की तरह तथा स्त्री लिङ्ग में नदी की तरह रूप चलते हैं।
- नपुंसक लिङ्ग में भी दण्डिन की तरह रूप चलते हैं।
- णिनि/इनि प्रत्यय लगने के बाद गुणिन् यह रूप बनता है। पुलिङ्ग् एक वचन में न् का लोप हो कर गुणी बनता है।
- गुण + णिनि >इनि = गुणिन्
- गुण + इन् > इ (न् का लोप होगा )= गुणी
- स्त्रिलिङ्ग् में ङीप् प्रत्यय का प्रयोग हो कर गुणिनी रूप बनता है।स्त्री लिङ्ग में न् का लोप नहीं होगा। ङीप् प्रत्यय का प्रयोग होगा। ङीप् का ई जुड़ता है।
- जैसे…गुणी + णिनि > इन् + ङीप् > ई = गुणिनी
- नपुंसक लिङ्ग एक वचन में में गुणि रूप बनता है।
णिनि प्रत्यय के उदाहरण..
- ज्ञान + इन् = ज्ञानिन् ज्ञानी , ज्ञानिनी , ज्ञानि
- वाद + इन् = वादिन् वादी, वादिनी, वादि
- साहस+ इन् = साहसिन् साहसी , साहसिनी, साहसि
- अधिकार +इन् = अधिकारिन् अधिकारी, अधिकारिणी, आधिकारि
- अर्थ+ इन् = अर्थिन् अर्थी, अर्थिनी, अर्थि
- उद्योग – उद्योगिन् , उद्योगी , उद्योगिनी , उद्योगि
- सुख -सुखिन् सुखी, सुखिनी, सुखि
- दान – दानिन् दानी, दानिनी, दानि
- योग – योगिन् योगी , योगिनी , योगि
- गुण – गुणिन् गुणी, गुणिनी , गुणि
- प्राण – प्राणिन् प्राणी , प्रणिनी , प्राणि
- देह – देहिन् देही, देहिनी , देहि
- दुख – दुखिन् दुखी , दुखिनी , दुखि
- दण्ड – दण्डिन् दण्डी, दण्डिनी, दण्डि
- दन्त -दन्तिन् दन्ती, दन्तिनी, दन्ति
- धन -धनिन् धनी, धनिनी, धनि
- परिश्रम – परिश्रमिन् , परिश्रमी , परिश्रमिनी , पारिश्रमि
- पक्ष -पक्षिन् पक्षी, पक्षिणी, पक्षि
- पाप – पपिन् पापी , पापिनी , पापि
- फल – फलिन् फली, फलिनी , फलि
- बल – बलिन् बली , बलिनी, बलि
- भोग – भोगिन् भोगी, भोगिनी , भोगि
- भाग – भगिन् भागी , भगिनी, भागि
- विवेक – विवेकिन् विवेकी, विवेकिनी , विवेकि
- क्रोध – क्रोधिन् क्रोधी , क्रोधिनी, क्रोधि
- मान -मानिन् मानी, मानिनी , मानि
- मन्त्र -मन्त्रिन् मन्त्री, मन्त्रिणी, मन्त्रि
- रूप -रूपिन् रूपी , रूपिणी , रूपि
- रोग -रोगिन् रोगी , रोगिणी , रोगि
- वैर -वैरागिन् वैरागी, वैरागिणी, वैरागि
- वैर – वैरिन् वैरी , वैरिणी, वैरि
- विकार-विकारिन् विकारी, विकारिणी , विकारि
- वर्ण – वर्णिन् वर्णी , वर्णिनी , वर्णि
- वाद -वादिन् वादी , वादिनी, वादि
- वास -वासिन्, वासी वासिनी, वासि
- शूल – शूलिन् शूली , शूलिनी , शूलि
- संसार- संसारिन् संसारी , संसारिणी, संसारि
- हस्त – हस्तिन् हस्ती, हास्तिनी, हस्ति
- व्यवहार -व्यवहारिन्, व्यवहारी, व्यवहारिणी, व्यवहारि
णिनि/इनि प्रत्यय से बने शब्दों का वाक्य में प्रयोग
- अभिमानी मानं न लभते ।
- लोभी शान्तिम् न प्राप्नोति।
- सर्वे भवन्तु सुखिनः।
- कर्ण दानी आसीत्।
- सुखार्थिनः त्यजेत् विद्या।
- विद्यार्थिनः त्यजेत् सुखम्।
- दण्डिनः दण्डं धारयन्ति।
- मनुष्य सामाजिकः प्राणी अस्ति।
- संज्ञा – सर्वनाम – विशेषणाश्च विकारिणः भवन्ति।
- सा अपि पापे भागिनी अस्ति।
- नृपस्य एका श्वेत वर्णिनी कन्या आसीत्।
- नमन्ति फलिनः वृक्षाः।
- धनी जनः दानेन शोभते।
- कर्मशीलः योगी कथ्यते।
मतुप् और वतुप् प्रत्यय परिचय व उदाहरण के लिये पढिये..
संस्कृत संज्ञा विधायक सूत्र के लिये इसे देखें
अनीयर प्रत्यय के लिये इसे पढिये
प्रश्न-उत्तर..
.1..शूल + इन् =?… स्त्रिलिङ्ग् में क्या बनेगा?
क.. शूली ख… शूलि ग..शूलिनी.
2…………जनः सर्वप्रियः भवति। (विनोदी / विनोदिनः )
3..किं कुलेन विशालेन विद्या विहीनस्य………….। ( देही / देहिनः )
4.. ………….. इयं बाला। ( व्यवसायी / व्यवसायिनी )
5.. मान + इन् = पुलिङ्ग् मे क्या बनेगा?क.. मानी ख.. मानिनी ग… मानि
6.. णिनि/इन् प्रत्यय किस अर्थ में प्रयुक्त होता है?
7..इन् प्रत्यय से बने पद कौन से पद बनते हैं?
उत्तर..1.. शूलिनी 2.. विनोदी 3.. देहिनः , 4.. व्यवसायिनी 5.. मानी 6.. युक्त अर्थ में 7.. विशेषण पद