मतुप और वतुप प्रत्यय परिचय उदाहरण

मतुप और वतुप प्रत्यय एक तद्धित प्रत्यय है.. जो ‘युक्त‘ अर्थ में या वाला अर्थ में संज्ञा व सर्वनाम शब्दों के साथ प्रयोग किया जाता है।जैसे… सःबलवान् अस्ति। वह बलवान है अर्थात बल से युक्त है।

धातु के साथ मतुप् का प्रयोग नहीं होता है।हिन्दी भाषा में जो अर्थ वान, वाला, वाली आदि प्रत्ययों से प्रकट होता है, वही अर्थ मतुप् प्रत्यय से प्रकट होता है।जैसे.. फल+ मतुप् = फलवान् अर्थात फलवाला।

आचार्य पाणिनि ने इसकी व्याख्या इस प्रकार किया है..1..अस्य अस्ति इति…इसका है।जैसे..धनवान…धनं अस्ति अस्य…इसका धन है..इसके पास धन है।

2..अस्मिन् अस्ति..इसमें है।जैसे…जलवान घट..इस घड़े में जल है। यह घड़ा जलयुक्त है।

मतुप् प्रत्यय से युक्त शब्द विशेषण बन जाते हैं।जैसे..गुणवती स्त्री। शक्तिमान् जनः।

मतुप/वतुप् प्रत्यय के प्रयोग के नियम..कुछ शब्दों के साथ मतुप् का मत् जुड़ता है, कुछ शब्दों के साथ वत् जुड़ता है। इसके नियम इस प्रकार हैं….

1…जिन शब्दों के अन्त में अ या आ को छोड़ कर कोई अन्य स्वर होता है, उनमें मतुप् जुड़ता है।

मतुप् का मत् शेष रहता है , अर्थात मतुप् जब शब्द के साथ प्रयोग किया जाता है, तो मतुप् का केवल मत् जुड़ता है , उ प् का लोप हो जाता है।

जैसे..बुद्धि + मतुप् >मत् = बुद्धिमत्

2..शब्द का अन्तिम अक्षर यदि अ आ या स् .. इनमें से कोई वर्ण हो, तो शब्द के साथ वत् का प्रयोग होता है।

जैसे..धन + मतुप् > वत् = धनवत् …इस उदाहरण में धन के अन्त में अ है, अतः वत् जुड़ा है।

नोट.. यदि शब्द का उपधा वर्ण अर्थात second last वर्ण.. म् हो तो भी वत् जुडता है.. जैसे लक्ष्मी इस शब्द में अन्तिम वर्ण ई है, परन्तु उसके पहले का वर्ण म् है अतः लक्ष्मी +वतुप् = लक्ष्मीवान् रूप बनेगा। अन्तिम वर्ण ई के आधार पर मत् नहीं होगा।

शब्द के साथ जब वतुप् प्रत्यय का प्रयोग होता है, तब वतुप् का केवल वत् जुड़ता है।

3..इस प्रत्यय का मत् जुड़ने के बाद पुलिङ्ग् में मान् स्त्रीलिंग में मती तथा नपुसंक लिंग में मत् जुड़ता है।

तथा वत् जुड़ने के बाद पुलिङ्ग में वान् , स्त्रीलिङ्ग में वती तथा नपुंसक लिङ्ग में वत् जुड़ता है।

अर्थात..धन + मतुप् >वत् = धनवत् ऐसा रूप बनता है। अब इसे पुलिङ्ग शब्द बनाने के लिये वान् जुड़ेगा। इसी प्रकार स्त्रिलिङ्ग में वती जुड़ेगा धन + वतुप् =धनवती

तथा नपुंसक लिंग में वत् जुड़ेगा। धन +वतुप् =धनवत्

4..इस प्रत्यय से बने शब्द विशेषण होते हैं ,अतः इन शब्दों के लिंग वचन और विभक्ति अपने विशेष्य के अनुसार होते हैं ।

जैसे..धनवान् नरः। इस वाक्य में नरः पुलिङ्ग् एक वचन में है, अतः धनवान् पद भी पुलिङ्ग् एक वचन में प्रयुक्त हुआ है।

5..इस प्रत्यय से बने शब्दों में कारक विभक्तियां लगती हैं , अर्थात इनके रूप बनते हैं।

मतुप् प्रत्यय से बने शब्दों के रूप, पुलिङ्ग् में भवत् की तरह स्त्रिलिङ्ग् में नदी की तरह तथा नपुंसक लिङ्ग में जगत् की तरह बनते हैं।

पुलिङ्ग रूप..

भवान् भवन्तौ भवन्तः
श्रीमान् श्रीमन्तौ श्रीमन्तः

स्त्रिलिङ्ग् रूप.

नदी नद्यौ नद्यः
श्रीमती श्रीमत्यौश्रीमत्यः

नपुंसक लिङ्ग रूप..

जगत्जगती जगन्ति
श्रीमत्श्रीमतीश्रीमन्ति

मतुप और वतुप प्रत्यय परिचय

..मतुप् प्रत्यय से बने शब्द..

शब्द +प्रत्यय पुलिङ्ग स्त्रिलिङ्ग नपुंसकलिङ्ग
बुद्धि+मतुप् बुद्धिमान्बुद्धिमती बुद्धिमत्
शक्ति शक्तिमान् शक्तिमती शक्तिमत्
कीर्ति कीर्तिमान्कीर्तिमतीकीर्तिमत्
चक्षु चक्षुमान्चक्षुमती चक्षुमत्
भानु भानुमान्भानुमतीभानुमत्
अन्शु अन्शुमान्अन्शुमती अन्शुमत्
दीप्ति दीप्तिमान् दीप्तिमती दीप्तिमत्
धृति धृतिमान्धृतिमती धृतिमत्
इक्षु इक्षुमान् इक्षुमती इक्षुमत्
श्री श्रीमान्श्रीमती श्रीमत्
नीति नीतिमान्नीतिमती नीतिमत्
धी धीमान्धीमती धीमत्
अग्नि अग्निमान्अग्निमती अग्निमत्
ध्वनि ध्वनिमान्ध्वनिमती ध्वनिमत्
ह्री ह्रीमान्ह्रीमती ह्रीमत्
नदी नदीमान्नदीमान्नदीमत्
इक्षु इक्षुमान्इक्षुमती इक्षुमत्
मधु मधुमान्मधुमती मधुमत्
वसु वसुमान् वसुमती वसुमत्
विधु विधुमान्विधुमती विधुमत्
सानु सानुमान्सानुमती सानुमत्
हनु हनुमान्हनुमती हनुमत्
वधू वधूमान् वधूमती वधूमत्
गो गोमान् गोमती गोमत्
गरुत् गरुत्मान् गरुत्मती गरुत्मत्
धनुष् धनुष्मान् धनुष्मती धनुष्मत्
ककुद् ककुद्मान् ककुद्मती ककुद्मत्

मतुप् /वतुप् प्रत्यय….वाक्य..

मतुप् प्रत्यय युक्त शब्दों को वाक्य में प्रयोग करते समय यह देखना चाहिये की वाक्य में विशेष्य शब्द कौन सा है…अर्थात किस लिङ्ग, वचन और विभक्ति में है,उसी के अनुसार मतुप् प्रत्यय से बने शब्द का भी लिङ्ग, विभक्ति व वचन होगा।

  • 1..अध्ययेन नरः गुणवान् भवति।
  • 2..श्रद्धवान् लभते ज्ञानः।
  • 3..धनवान् नरः दानेन् शोभते।
  • 4..बुद्धिमान् जनः सर्वत्र मानं लभते।
  • 5..छायावन्तः वृक्षाः मार्गे पथिकेभ्यःआश्रयं यच्छन्ति।इस वाक्य में वृक्षाः बहुवचन में है,अतः छायावन्तः भी बहुवचन में प्रयुक्त हुआ ।
  • 6..बलवती हि आशा

नोट…इस वाक्य में आशा स्त्रिलिङ्ग् का शब्द है, इसलिये बलवती भी स्त्री लिङ्ग में है।

  • 7..पुरा एकः शक्तिमान् नृपः आसीत्।
  • 8..तस्य नीतिमान् मन्त्री आसीत्।
  • 9..धनवान् मन्त्री विपुलं धनं अयच्छत्।
  • 10..बुद्धिमती नारी विचारशीला भवति।
  • 11..अयम् वृक्षः फलवान् अस्ति।
  • 12..वीराः अभ्युदये क्षमावन्तः भवन्ति।
  • 13..इयं कन्या गुणवती अस्ति।
  • 14..वयम् श्रीमन्तं मुख्यातिथिम् नमामः। इस वाक्य में मुख्यातिथिम् द्वितीया विभक्ति एक वचन में है, अतः श्रीमन्तं भी द्वितीया विभक्ति एक वचन में प्रयुक्त हुआ है।

प्रश्न -उत्तर

1.. प्रश्न.. रिक्त स्थानानि पूरयत…

(क) अध्यापकः ……………………. (बुद्धि +मतुप् )छात्राः! संसारे अस्मिन् कः श्रेष्ठः?

(ख ) राघवः – आचार्य! यः…….. (धन + मतुप् ) …….. (रूप +मतुप् ) जनः भवति, जनाः तम् एव श्रेष्ठं मन्यते।

(ग )इंदु:- अहं वदामि… यः……. (सदाचार +मतुप् )……. विवेकी,…….. ( नीति +मतुप्,.)………., (शक्ति +मतुप् ) च भवति, सः श्रेष्ठः भवति।

उत्तर… क… बुद्धिमन्तः ( छात्राः बहुवचन में है अतः बुद्धिमन्तः होगा )

ख… धनवान , रूपवान,

ग.. सदाचारवान , नीतिमान , शक्तिमान

2प्रश्न.. धृति +मतुप् =?

क..धैर्यवान ख.. धैर्यमान ग.. धृतिमान

उत्तर…धृतिमान

3..प्रश्न कृपा +मतुप् =?

क.. कृपामान, ख…कृपावान

उत्तर… कृपावान

4.. प्रश्न.. (छाया +मतुप् =?)वृक्षाः मार्गे श्रान्त पथिकेभ्यः आश्रयं यच्छन्ति?

क.. छायावान्, ख.. छायावन्तः, ग.. छायावन्तं, घ.. छायावतः

उत्तर.. ख..छायावन्तः

अनीयर प्रत्यय के लिये इसे देखिये..

अनीयर प्रत्यय के लिये इसे पढिये..

संस्कृत संज्ञा विधायक सूत्र के लिये देखिये

……..

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