Sanskrit Me Lakar..विभिन्न कालों के बारे में बताने के लिये संस्कृत में लकार का प्रयोग होता है। कुल दस लकारों का प्रयोग संस्कृत भाषा में द्रष्टव्य हैं। इन सबका नाम ‘ल’ अक्षर से होने के कारण इन्हें लकार कहा जाता है।इन लकारों का क्रियाओं से अत्यन्त निकट संबन्ध होता है।
इनके नाम हैं….लट्, लृट्, लोट् , लङ्ग, विधिलिङ्ग,लिट्, लुट्, लिङ्ग, लुङ्ग लृङ्ग ।
ये विभिन्न कालों के सूचक हैं। कुछ लकार आज्ञा, निमन्त्रण आदि विशेष अर्थ के लिये भी हैं।इन सबके अतिरिक्त एक अन्य लकार …लेट् लकार है। इसका प्रयोग केवल वैदिक संस्कृत में होता है।
- प्रत्येक लकार में तीन पुरुष होते हैं.. 1.प्रथम पुरुष, 2.मध्यम पुरुष, 3.उत्तम पुरुष।
- तीन वचन होते है. 1.एक वचन, 2.द्वि वचन, 3.बहुवचन
1..लट् लकार…
वर्तमान काल के अर्थ में लट् लकार का प्रयोग होता है। इसमें क्रिया आरम्भ तो होती है पर समाप्त नहीं होती है। जैसे.. सः खादति.. वह खाता है।
रूप..
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | पठति | पठतः | पठन्ति |
मध्यम पुरुष | पठसि | पठथः | पठथ |
उत्तम पुरुष | पठामि | पठावः | पठामः |
लट् लकार के वाक्य ..
- सः पठति। वह पढ़ता है।
- रमा लेखं लिखति। रमा लेख लिखती है।
- रामः श्यामः च विद्यालयं गच्छतः। राम और श्याम विद्यालय जाते हैं।
- त्वं गीतं गायसि। तुम गीत गाती हो।
- वयं प्रातः ईश्वरम् भजामः। हम सब प्रातः इश्वर को भजते हैं।
- हंसः तरति। हंस तैरता है।
- वानराः कूर्दन्ति। बन्दर कूदते हैं।
- भवती वार्तालापं करोति। आप बात करती हैं।
- सैनिकाः देशं रक्षन्ति। सैनिक देश की रक्षा करते हैं।
- वृक्षाः ओषजनं यच्छन्ति। वृक्ष आक्सीजन देते हैं।
नोट…लट् लकार के धातु रूप के साथ स्म जोड़ देने से वह भूत काल.. लङ्ग लकार के अर्थ वाला हो जाता है। जैसे..
- सः खादति। वह खाता है। (लट् लकार)
- सः खादति स्म। उसने खाया।(लङ्ग लकार)
नोट…जिसका जो स्वभाव है, वह बताने के लिये भी लट् लकार का प्रयोग होता है.. जैसे..
- नद्यः वहन्ति। नदियां बहती हैं।
- मेघः गर्जति। मेघ गरजता है।
- विद्युत दीव्यति। बिजली चमकती है।
वर्तमान के समीपस्थ भूत काल और भविष्य काल को बताने के लिये भी लट् का प्रयोग होता है..
- जैसे..भविष्य काल.में…
- कदा गमिष्यसि? एष गच्छामि।
- किम् फलं आनेष्यसि? एष आनयामि।
- भूत काल में..
- कदा आगतो असि? एष आगच्छामि।
2..लृट् लकार..भविष्यत् काल
लृट् लकार सामान्य भविष्य काल को द्योतित करता है। जब क्रिया आने वाले समय में अर्थात भविष्य काल में होती है तब लृट् लकार होता है। इसमें धातु, प्रत्यय के मध्य में (स्य) ष्य लगता है। जो धतुएं सेट् होती हैं, उनमें धातु के मध्य में इ जुड़ता है। जो धातुएं सेट् नहीं होती हैं, उनमें इ नहीं जुड़ता है।इसका रूप इस प्रकार है..
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | पठिष्यति | पठिष्यतः | पठिष्यन्ति |
मध्यम पुरुष | पठिष्यसि | पठिष्यथः | पठिष्यथ |
उत्तम पुरुष | पठिष्यामि | पठिष्यावः | पठिष्यामः |
वाक्य…
- बालकाः सायं गमिष्यन्ति। अर्थात बालक शाम को जायेंगे।
- भवती कथम न आगमिष्यति? आप क्यों नहीं आयेंगी?
- प्रातः पुनः भविष्यति? सुबह फिर होगी।
- त्वं अद्य न लेखिष्यसि। तुम आज नहीं लिखोगी।
- अहं अत्र स्वप्स्यामि। मैं यहां सोऊंगा।
- श्वः अहम् भगिनीं प्रति पत्रं लेखिष्यामि। कल मैं बहन को पत्र लिखूंगा।
- वयम् कदा गमिष्यामः? हम सब कब जायेंगे?
- अद्य सोमवासरः , श्वः मंगलवासरः भविष्यति।
- अद्य मम् उपवासः अस्ति। श्वः अहम् भोजनं करिष्यामि।
Sanskrit Me Lakar संस्कृत में लकार..
3..लोट् लकार..
- आज्ञा, प्रार्थना,इच्छा, आशीर्वाद तथा निमन्त्रण के अर्थ में लोट् लकार का प्रयोग होता है।
- ध्यान रखने योग्य है.. कि मध्यम पुरुष में इस लकार का प्रयोग आज्ञा, प्रार्थना, तथा आशीर्वाद के अर्थ में होता है। प्रायः आज्ञा और प्रार्थना में तू या तुम कर्ता छुप जाता है।
रूप….
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | पठतु | पठताम | पठन्तु |
मध्यम पुरुष | पठ | पठतम् | पठत् |
उत्तम पुरुष | पठानि | पठाव | पठाम |
लोट् लकार के वाक्य …आज्ञा के अर्थ में..
- अत्र उपविश। यहां बैठो।
- छात्राः हस्तौ उपरि कुरुत्..। छात्रों हाथ ऊपर करो।
- करतलवादनं कुरुत्। ताली बजाओ।
- सः खादतु। वह खाए।
- भो बालकाः! यूयम् ध्यानेन् पठत्।
- त्वमपि पत्रम् लिख।
प्रार्थना अर्थ में वाक्य..
- अस्याः विपदः रक्षतु भवान्। इस विपदा से मेरी रक्षा करिये।
- भगवान दयस्व / भगवान् दयां कुरु। हे भगवान दया करो।
- माम् संकटेभ्यः रक्ष। संकटों से मेरी रक्षा करो।
- हे ईश्वर! माम् उद्धर। हे ईश्वर! मेरी उद्धार करिये।
निमन्त्रण अर्थ में..
- अद्य भवान् मम गृहे भोजनं करोतु। आज आप मेरे घर भोजन करें।
- आगच्छ!सह एव खेलं पश्याव। आइये! साथ ही खेल देखें।
आशीर्वाद अर्थ में..
- सर्वे भवन्तु सुखिनः।
- गच्छ, विजयी भव।
- वत्स! त्वम् चिरंजीवी भव।
- गच्छतु भवान् पुनः दर्शनाय।
प्रश्न अर्थ में..
- श्रीमान् ! किम् अहम् अन्तः आगच्छानि?
- किम् अहम् पठानि?
- किं भूयः ते प्रियं करवाणि?
- किम् वयम् कथां लिखाम?
- किमहं जलम् आनीयानि?
4..लङ्ग लकार..अनद्यतन भूत काल
अनद्यतन भूतकाल के अर्थ में लङ्ग लकार का प्रयोग होता है। अनद्यतन अर्थात जो कार्य आज न हुआ हो।
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अपठत् | अपठताम् | अपठन् |
मध्यम पुरुष | अपठ: | अपठतम् | अपठत |
उत्तम पुरुष | अपठम् | अपठाव | अपठाम |
वाक्य..
- सः अपठत्। उसने पढ़ा।
- अहं अयच्छम्। मैने दिया।
- ह्यः त्वम् किमर्थं विद्यालयं नागच्छः?
- मम माता यत् यत् आदिशत् तत् तत् अहम् अकरवम्।
- सरोवरस्य समीपे एकः महान् वट वृक्षः आसीत्।
- कविता अगायत्। कविता नें गाया।
- यूयं ह्यः अलिखत्। तुम सब नें कल लिखा।
- शिष्यः गुरुं अनमत्।
5..विधिलिङ्ग लकार..Sanskrit Me Lakar
संभावना के अर्थ में , जो कार्य उचित हो इस अर्थ में , उपदेश के अर्थ में , इच्छा के अर्थ में, विधि अर्थ में, चाहिये के अर्थ में विधिलिङ्ग लकार का प्रयोग होता है। विधि =आज्ञा, निमन्त्रण, आमन्त्रण,संप्रश्न और प्रार्थना इन अर्थों में भी विधिलिङ्ग लकार का प्रयोग होता है।
विधिलिंग लकार का रुप/ प्रयोग …
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः पठेत | तौ पठेताम् | ते पठेयुः |
मध्यम पुरुष | त्वम् पठे: | युवाम् पठेतम् | यूयम् पठेत |
उत्तम पुरुष | अहम् पठेयम् | आवाम् पठेव | वयम् पठेम् |
उदाहरण..
संभावना अर्थ में.
- संभवतः सः विदेशं गच्छेत्।
- कदाचित् आचार्या अद्य विद्यालयं न आगच्छेत्।
- संभवतः मोहनः श्वः गोरखपुरनगरं गच्छेत्।
- संभवतः ते परिक्षामुत्तीर्य व्यपारमेव कुर्युः।
उचित कार्य के अर्थ में…
- सत्यं ब्रूयात्। सत्य बोलना चहिये।
- मार्गे अवकरम् मा क्षिपेः।
- चिकित्सालये जनाः उच्चैः न हसेयुः।
- बालकाः भोजनात् पूर्वं हस्तौ प्रक्षालयेयुः।
- पुस्तकालये छात्राः वार्तालापं न कुर्युः
उपदेश के अर्थ में..
- सुखार्थी वा त्यजेद् विद्या।
- विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्।
- सहसा विदधीत न क्रियाम्।
इच्छा अर्थ में..
- भवान् शीघ्रं निरोगो भवेत्।
- वयम् प्रातः ईश्वरम् स्मरेम।
- त्वम् सुखी भवेः।
अन्य वाक्य..
- माता पुत्रं पश्येत्। माता पुत्र को देखे।
- भृत्यःतत्र गच्छेत्। नौकर वहां जाये।
- ब्रह्मचारी मधु मासं च वर्जयेत्।
- वयं किं कुर्याम्? हम क्या करें / हमें क्या करना चहिये?
- वयम् आहतानाम् चिकित्सां कुर्मः।
- पण्डिताः समदर्शिनः भवेयुः।
- क्षीरं उष्णीकुर्यात्।
- कार्यालये यथासमयम् गच्छेत्।
- असत्यं न वदेत्।
- भवान अत्र भक्षयेत्।
6..लिट् लकार..परोक्ष भूत काल
भूत काल. की उस अवस्था को बताने के लिये लिट् लकार का प्रयोग होता है जिसे वक्ता अर्थात बोलने वाले नें स्वयं न देखा हो।आंखों के सामने पारित न होने वाले भूत काल को परोक्ष भूत कहते हैं। परोक्ष भूत काल के अर्थ में लिट् लकार का प्रयोग होता है।
लिट् लकार रूप/प्रयोग…
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | सः पपाठ | तौ पेठतुः | ते पेठुः |
मध्यम पुरुष | त्वम् पेपिठ | युवाम् पेठथुः | यूयम् पेठः |
उत्तम पुरुष | अहम् पपाठ/पपठ | आवाम् पेठिव | वयम् पेठिम |
Sanskrit Me Lakar
वाक्य..
- रामः वनम् जगाम । राम वन को गये।
- यूयम् पेतः। तुम गिरे।
- रामः रावणं ममार। राम नें रावण को मारा।
- सुप्तोऽहं किल विललाप। मैने सोने में (नींद में ) विलाप किया।
- नृपः वने सिंहं ददर्श।
- सः पपाठ।
7..लुट् लकार…अनद्यतन भविष्यत् काल
गत (बीती हुई )रात्रि के बारह बजे से आने वाले रात्रि के बारह बजे तक के समय को अद्यतन कहा जाता है। आगामी(आने वाली)रात्रि के बारह बजे के बाद के समय को अनद्यतन कहा जाता है। इसी अर्थ में लुट् लकार का प्रयोग होता है।
लुट लकार रूप ..
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | बालकः पठिता | बालकौ पठितारौ | बालकाः पठितारः |
मध्यम पुरुष | त्वम् पठितासि | युवाम् पठितास्थः | यूयम् पठितास्थ |
उत्तम पुरुष | अहम् पठितास्मि | आवाम् पठितास्वः | वयम् पठितास्मः |
वाक्य..
- अहं श्वः गन्तास्मि। मैं कल जाऊंगा।
- तौ परश्वः क्रीडितारौ। वे दोनों परसों खेलेंगे।
- त्वं पठितासि। तुम पढ़ोगे।
- त्वं कदा लेखितासि? तुम कब लिखोगे?
- नोट.. लुट् लकार का प्रयोग केवल अनद्यतन भविष्यत् में होता है। ‘वह आज शाम को खेलेगा ‘ इस वाक्य में खेलेग कि संस्कृत क्रीडिता नहीं होकर क्रीडिष्यति ही होगा।
8..लुङ्ग लकार.. सामान्य भूतकाल..
सामान्य भूतकाल के कार्य को लक्षित करने के लिये लुङ्ग लकार का प्रयोग होता है। प्रत्येक प्रकार के भूत काल को व्यक्त करने के लिये लुङ्ग लकार का प्रयोग होता है। आसन्न भूत अर्थात (गत अर्ध रात्रि के बाद के भूत ) में केवल लुङ्ग लकार का प्रयोग होता है।
लुङ्ग लकार का रूप..
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | बालः अपाठीत् | बालौ अपाठिष्टाम् | बालाः अपाठिषु |
मध्यम पुरुष | त्वम् अपाठी: | युवां अपाठिष्टम् | यूयं अपाठिष्ट |
उत्तम पुरुष | अहम् अपाठिषम् | आवाम् अपाठिष्व | वयम् अपाठिष्म् |
वाक्य.
- सः अपाठीत्। उसने पढ़ा।
- तौ अपाठिष्टाम्। उन दोनों नें पढ़ा।
- अहं अपाठिषम्। मैने पढ़ा।
- अहं अद्य आगमम्। मैं आज आया।
- सः अधुनैव अहौषीत्। उसने अभी हवन किया।
- मा कुरु रोषम्। क्रोध मत करो।
- क्लैव्यम् मा स्मगमः पार्थ।
9..लृङ्ग लकार..कृयातिपत्ति(Condition)
हेतु हेतुमद् भूत काल..
लृङ्ग निमित्ते लृङ्ग क्रियातिपत्तौ इस सूत्र के अनुसार..’यदि ऐसा होता तो ऐसा होता ‘ जैसे शर्त युक्त वाक्यों में इस लकार का प्रयोग होता है। अर्थात एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है। जैसे.. यदि उसने परिश्रम किया होता, तो असफल नहीं होता।
लृङ्ग लकार का रूप/प्रयोग ..
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | सः अपठिष्यत् | तौ अपठिष्यताम् | ते अपठिष्यन् |
मध्यम पुरुष | त्वम् अपठिष्य: | युवाम् अपठिष्यतम् | यूयम् अपठिष्यत |
उत्तम पुरुष | अहम् अपठिष्यम् | आवाम् अपठिष्याव | वयम् अपठिष्याम् |
वाक्य…
- सः/सा अपठिष्यत्। उसने पढ़ा होता।
- तौ/ते अपठिष्यताम्। उन दोनों नें पढ़ा होता।
- ते/ताः अपठिष्यन्। उन सब् नें पढ़ा होता।
- यदि सूर्यः न उदगमिष्यत तर्हि अन्धकारः न अनशिष्यत्
- यदि अहम् अपठिष्यं, तर्हि विद्वान् अभविष्यम्
- .सु वृष्टिः चेत् अभिवष्यत् तर्हि दुर्भिक्षं न अभिवष्यत्। यदि अच्छी वर्षा होती, तो दुर्भिक्ष नहीं होता।
- यदि सः आगमिष्यत् तर्हि अहं तेन सह अगमिष्यम्। यदि वह आता तो मैं उसके साथ जाता।
- यदि दुर्योधनः अन्यायम् न अकरिष्यत्, तर्हि कौरवानां नाशः न अभविष्यत्।
10..आशीर्लिङ्ग लकार (आशीर्वाद).. Sanskrit Me Lakar
आशीर्वाद देने के लिये आशीर्लिङ्ग का प्रयोग होता है।
रूप व प्रयोग ..
पुरुष | एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन |
प्रथम पुरुष | छात्रः पठ्यात् | छात्रौ पठ्यास्ताम् | छात्राः पठ्यासुः |
मध्यम पुरुष | त्वं पठ्या: | युवाम् पठ्यास्तम् | यूयम् पठ्यास्त |
उत्तम पुरुष | अहम् पठ्यासम् | आवाम् पठ्यास्व | वयम् पठ्यास्म |
वाक्य..
- सः राजा जीयात्। वह राजा विजयी हो।
- त्वं चिर् जीव्या। तुम चिरंजीवी हो।
- अन्धकाराः नश्यासुः। अन्धकार का नाश हो।
- वयम् सुखिनः भूयास्म।
- देशः उन्नीयात्
- ते परीक्षायां सफलं भूयासुः।
- जलम् वर्ष्यात्
इति संस्कृत लकार परिचय। Sanskrit Me Lakar
प्रश्न – उत्तर..
1.. प्रश्न.. भविष्य काल के लिये किस लकार का प्रयोग होता है।
उत्तर… लृट् लकार का।
2.. प्रश्न.. पठताम् यह किस लकार का रूप है?
उत्तर..लोट् लकार का
3.. अनद्यतन भूत के लिये किस लकार का प्रयोग होता है?
उत्तर.. लङ्ग लकार का।
sanskrit sangya vidhayak sutra