वेदान्त दर्शन में पञ्चीकरण प्रक्रिया स्थूल सृष्टि के निर्माण की एक विशिष्ट प्रक्रिया है।
सृष्टि के विकास हेतु पञ्च तन्मात्राओं को परस्पर मिलाने की प्रक्रिया पञ्चीकरण प्रक्रिया कही जाती है।
आकाश,तेज,वायु,जल और पृथ्वी ये पांच तन्मात्राएं हैं और जब इनका परस्पर समिश्रण हो जाता है तो ये महाभूत बन जाते हैं।
जब तक ये पञ्चीकृत नहीं किये जाते हैं, तब तक ये सूक्ष्म तन्मात्रा कहे जाते हैं।
ये पञ्च महाभूत स्थूल शरीर को उत्पन्न करने वाले घटक हैं। आकाश आदि पञ्च तन्मात्राओं के संयोग से स्थूल महाभूतों की उत्पत्ति होती है।
अतः स्थूल महाभूतों में प्रत्येक सूक्ष्म तन्मात्रा के गुण के अतिरिक्त अन्य तन्मात्राओं के भी गुण होते हैं।
स्थूलभूत क्या हैं…
स्थूलभूतानि तु पञ्चीकृतानि..अर्थात स्थूलभूत पञ्चीकृत किये गये महाभूतों को कहते हैं
। अपञ्चीकृत भूत सूक्ष्म स्वरूप हैं। इनसे विकसित जड़ प्रकृति स्थूल स्वरूप प्राप्त करती है। यही अवस्था पञ्चीकृत अवस्था है।
परन्तु यह पञ्चीकरण प्रक्रिया कैसे सम्पन्न होती है? इसके बारे में वेदान्त में लिखा गया है…
Panchi Karan prakriya
पञ्चीकरण प्रक्रिया कैसे होती है
पञ्चीकरण त्वाकाशादिपञ्चस्वेकैकं द्विधा समं विभज्य तेषु दशसु भागेषु प्राथमिकान् पञ्चभागान् प्रत्येकम् चतुर्धा समं विभज्य तेषां चतुर्णां भागानाम् स्व स्व द्वितीयार्ध भागपरित्यागेन भागान्तरेषु संयोजनं।
अर्थात आकाश, वायु, तेज,जल तथा पृथ्वी को दो समान भाग में विभाजित कर के, उन दस भागों में से प्रत्येक के आधे भाग को पुनः चार बराबर भागों में विभाजित करके, उनके आधे भाग को छोड़ ,करके उनके चतुर्थ भाग को अन्य में मिलाने की प्रक्रिया पञ्चीकरण है। और इनसे पञ्च महाभूत बनते हैं ।
पञ्चीकरण प्रक्रिया का प्रथम चरण
अर्थात सर्व प्रथम इन पञ्च महाभूतों में से प्रत्येक को दो-दो भाग में विभक्त कर देते हैं। इस प्रकार ये कुल दस भाग में विभाजित हो जाते हैं। अर्थात..
1/2 आकाश, 1/2 तेज, 1/2 वायु, 1/2जल ,1/2 पृथ्वी
द्वितीय चरण
तत्पश्चात इन विभक्त हुए पांचों के एक-एक भाग अर्थात बचे हुए आधे को पुनः चार चार भाग में विभक्त कर देते हैं। इस प्रकार प्रत्येक भूत पांच भाग में विभाजित हो जाता है… एक भाग आधा तथा दूसरा चार भागों में विभाजित चार भाग। अर्थात..
1/2 +1/8+1/8+1/8+1/8
तृतीय चरण
अब प्रत्येक भूत का वह भाग, जो चार भाग विभाजित किया गया है, उस भाग में से एक- एक भाग को एक-एक कर के अन्य चारो महाभूतों में मिला देते हैं। यह इस प्रकार और स्पष्ट हो जाएगा ..
सर्व प्रथम आकाश को दो भागों में विभाजित किया गया, पुनः आधे भाग को चार बराबर भागों में विभाजित किया जाएगा.. तथा विभाजित हुए चार भाग के एक एक भाग को अन्य में मिला दिया जाएगा।इस प्रकार ..
आकाश = 1/2आकाश + 1/8 तेज +1/8वायु +1/8जल +1/8पृथ्वी
अर्थात किसी भी सूक्ष्म भूत विभाजित हुए चार भाग में से एक भाग आकाश में, एक भाग वायु में, एक भाग तेज में, एक भाग जल में तथा एक भाग पृथ्वी में मिला देते हैं।
इस प्रकार सभी महाभूतों को सभी में मिला देते हैं तब हम देखते हैं कि प्रत्येक महा भूतों में अपना आधा अंश होता है तथा अन्य चार महा भूतों के भी चार अष्टमांश उनमें मिल गये और वे पुनः पूर्ण हो गये तथा ये पांचों महाभूत पांचों के समन्वित रूप हो जाते हैं। अर्थात उनमें आधा गुण स्वयं का तथा आधे में अन्य चारो का गुण होता है।
तदुक्तं.. इसी से सम्बन्धित एक कारिका है..
द्विधा विधाय चैकैकं चतुर्धा प्रथमं पुनः।
स्व -स्वेतर -द्वितीयांशैर्योजनात्पञ्च-पञ्च ते।।
इस प्रकार पञ्चीकरण प्रक्रिया संपन्न होती है।
जब ये सारे भूत आपस में मिल जाते हैं तो किसमें किस गुण की प्रधानता मानी जाएगी?
ऐसी स्थिति में प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति के आधार पर जिसमें जिस अंश की अधिकता है, उसमें उस गुण की प्रधानता मानी जानी चाहिये।
पांचों महाभूतों में पांचों के समान भाग मिले होने पर भी प्रत्येक के विशेष आधे अंश के आधार पर ही उनके लिये आकाशादि न्याय संगत व्यवहार होता है।
पञ्चीकरण के पश्चात हर एक महाभूत अपने पहले वाले महाभूत के गुणों को ग्रहण कर लेता है।
तदानीमाकाशे शब्दाऽभिव्यञ्जते वायौ शब्दस्पर्शावग्नौ शब्दस्पर्शरूपाण्यप्सु शब्दस्पर्शरूपरसाः पृथिव्यां शब्दस्पर्शरूपरसगन्धाश्च।।
तभी पञ्चीकृत अवस्था में आकाश में शब्द, वायु में शब्द स्पर्श, अग्नि में शब्द स्पर्श रूप , जल में शब्द स्पर्श रूप रस तथा पृथ्वी में शब्द स्पर्श रूप रस तथा गन्ध अभिव्यञ्जित होते हैं।
पञ्चीकरण इस चित्र से और स्पष्ट हो जायेगा…
इति वेदान्त दर्शन के अनुसार पञ्चीकरण प्रक्रिया
प्रश्न-उत्तर..
1 प्रश्न. वेदान्त दर्शन में पंचीकरण क्या है?
उत्तर..सृष्टि के विकास हेतु पञ्च तन्मात्राओं को परस्पर मिलाने की प्रक्रिया पञ्चीकरण प्रक्रिया कही जाती है। आकाश जल तेज वायु पृथ्वी यइन पांच तन्मात्राओं को विभाजित करके परस्पर मिलाने कि प्रक्रिया पंचीकरण है।
2. प्रश्न.. सूक्ष्म तन्मात्राएं कौन-कौन सी हैं?
उत्तर.. आकाश, तेज, जल, वायु, पृथ्वी ये अलग-अलग रहने पर सूक्ष्म तन्मात्राएं कही जाती हैं।